नित्य पूजा पीठिका | Nitya Puja Pithika
नित्य पूजा पीठिका ॐ जय जय जय नमोऽस्तु नमोऽस्तु नमोऽस्तु । णमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो […]
नित्य पूजा पीठिका ॐ जय जय जय नमोऽस्तु नमोऽस्तु नमोऽस्तु । णमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो […]
इह विधि ठाडो होय के, प्रथम पढ़ै जो पाठ; धन्य जिनेश्वर देव तुम, नाशे कर्म जु आठ. |1| अनंत चतुष्टय
ओं ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अर्हं वं मं हं सं तं पं वंवं मंमं हंहं संसं तंतं पंपं झंझं झ्वीं
जय-जय भगवंते सदा, मंगल मूल महान।वीतराग सर्वज्ञ प्रभु,नमौ जोरि जुगपान।। (ढाल मंगल की,छंद अडिल्ल और गीता) श्रीजिन जगमें ऐसो को
श्रीमन्नतामरशिरस्तट-रत्न-दीप्ति-तोयावभासि-चरणाम्बुज-युग्ममीशम् अर्हन्तमुन्नत-पद-प्रदमाभिनम्य, तन्मूर्तिषूद्यदभिषेक-विधिं करिष्ये ॥१॥अथ पौर्वाह्णिकदेव-वन्दनायां पूर्वाचार्यानुक्रमेण सकलकर्मक्षयार्थं भावपूजा- वन्दनास्तव-समेतं श्रीपञ्चगुरुभक्ति-पुरस्सरं कायोत्सर्गं करोम्यहम् ( यह पढ़कर नौ बार णमोकार मंत्र
आर्यिका ज्ञानमति माता जी गीता छन्दअनुपम अनादि अनंत है, यह मंत्रराज महान् है |सब मंगलों में प्रथम मंगल, करता अघ
जिनगीतिका (तर्ज-प्रभु पतित पावन……!) अरहंत सिद्धाचार्य पाठक, साधु जन के पद नमूँ, जिनधर्म जैनागम जिनेश्वर, मूर्ति जिनगृह में रमूँ ।
जिनगीतिका शुचि ध्यान से त्रेसठ प्रकृति हन, वीतरागी हो गये, दृग ज्ञान सुख वीरज चतुष्टय, गुण अनंत निजी लिये। तीर्थेश
देवशास्त्र गुरु नमन करि, बीस तीर्थङ्कर ध्याय।सिद्ध शुद्ध राजत सदा, नमूँ चित्त हुलसाय॥ ॐ ह्रीं श्री देवशास्त्र गुरु भगवन्तः, श्री