सोलह कारण पूजा || Solah Karan Pooja
कविवर द्यानतराय (अडिल्ल) सोलह कारण भाय तीर्थंकर जे भये | हरषे इन्द्र अपार मेरुपै ले गये || पूजा करि निज […]
कविवर द्यानतराय (अडिल्ल) सोलह कारण भाय तीर्थंकर जे भये | हरषे इन्द्र अपार मेरुपै ले गये || पूजा करि निज […]
कविश्री द्यानतराय (आडिल्ल छन्द) सरब-परव में बड़ो अठार्इ परव है| नंदीश्वर सुर जाहिं लेय वसु दरब है|| हमें सकति सो नाहिं
तुम तरणतारण भवनिवारण भविक मन आनन्दनो। श्रीनाभिनन्दन जगतवंदन आदिनाथ निरञ्जनो॥१॥ तुम आदिनाथ अनादि सेऊँ सेय पद पूजा करूँ। कैलाशगिरि पर
दोहा बिन जाने वा जानके, रही टूट जो कोय। तुम प्रसाद तैं परमगुरु, सो सब पूरन होय॥ पूजनविधि जानूँ नहीं,
Shanti Path in Hindi ॐ ह्रीं श्रीमन्तं भगवन्तं कृपा-लसन्तं श्रीवृषभादिमहावीरपर्यन्त- चतुर्विंशतितीर्थङ्करपरमदेवं आद्यानां आद्ये जम्बूद्वीपे भरतक्षेत्रे आर्यखण्डे . …….नाम्नि नगरे मासानामुत्तमे
बीस तीर्थंकर जल फल आठों दर्व अरघ कर प्रीति धरी है, गणधर इन्द्रनिहू-तैं श्रुति पूरी न करी है। धानत सेवक
कर्म-अरिगण जीत के, दरशायो शिव-पंथ | सिद्ध-पद श्रीजिन लह्यो, भोगभूमि के अंत || समर-दृष्टि-जल जीत लहि, मल्लयुद्ध जय पाय |
समपदी चौपाई अरिहंतों को नमन हमारा, सिद्ध चक्र का जय-जयकारा । आचार्यों को वंदन प्यारा, पाठक मुनि का अर्चन न्यारा
परमर्षि स्वस्ति मंगल पाठ (प्रत्येक श्लोक के बाद पुष्प क्षेपण करें ) (उपजातिच्छन्दः) नित्याप्रकम्पाद्भुतकेवलौघाः, स्फुरन्मनःपर्ययशुद्धबोधाः दिव्यावधि-ज्ञानबलप्रबोधाः, स्वस्ति क्रियासुः परमर्षयो नः॥१॥