श्री मुनिसुव्रतनाथ जी जिन पूजा – Shree MunisuvratNath Jin Pooja

Siddhapuja hirachand

प्रानत-स्वर्ग विहाय लियो जिन, जन्म सु राजगृही-महँ आई। श्रीसुहमित्त पिता जिनके, गुनवान महा पदमा जसु माई।। बीस-धनू तन श्याम छवी, कछु-अंक हरी वर वंश बताई। सो मुनिसुव्रतनाथ प्रभू कहँ, थापत हूँ इत प्रीत लगाई।। ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतनाथ जिनेन्द्र ! अत्र अवतरत अवतरत संवौषट्! (आह्वाननम्) ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतनाथ जिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठत तिष्ठत ठ: ठ:! (स्थापनम्) … Read more

श्री मल्लिनाथ जी जिन पूजा – Shree Mallinath Jin Pooja

Dev Shastra Guru Pooja

अपराजित तें आय नाथ मिथलापुर जाये| कुंभराय के नन्द, प्रभावति मात बताये|| कनक वरन तन तुंग, धनुष पच्चीस विराजे| सो प्रभु तिष्ठहु आय निकट मम ज्यों भ्रम भाजे|| ॐ ह्रीं श्रीमल्लिनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ ह्रीं श्रीमल्लिनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः| ॐ ह्रीं श्रीमल्लिनाथजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्| … Read more

श्री अरहनाथ जी जिन पूजा – Shree Arahnaath Jin Pooja

Siddhapuja hirachand

तप तुरंग असवार धार, तारन विवेक कर| ध्यान शुकल असिधार शुद्ध सुविचार सुबखतर|| भावन सेना, धर्म दशों सेनापति थापे| रतन तीन धरि सकति, मंत्रि अनुभो निरमापे|| सत्तातल सोहं सुभटि धुनि, त्याग केतु शत अग्र धरि| इहविध समाज सज राज को, अर जिन जीते कर्म अरि|| ॐ ह्रीं श्रीअरहनाथ जिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ … Read more

श्री कुंथुनाथ जी जिन पूजा – Shree Kunathunath Jin Pooja

Gomtesh bahubali

अज अंक अजै पद राजै निशंक, हरे भवशंक निशंकित दाता| मदमत्त मतंग के माथे गँथे, मतवाले तिन्हें हने ज्यों अरिहाता|| गजनागपुरै लियो जन्म जिन्हौं, रवि के प्रभु नंदन श्रीमति-माता| सो कुंथु सुकंथुनि के प्रतिपालक, थापौं तिन्हें जुतभक्ति विख्याता| ॐ ह्रीं श्रीकुंथुनाथजिनेन्द्र | अत्र अवतर अवतर संवौषट् | ॐ ह्रीं श्रीकुंथुनाथजिनेन्द्र | अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः … Read more

श्री शांतिनाथ जिन पूजा – Shri Shantinaath Jin Pooja

Siddhapuja hirachand

कविश्री बख्तावरसिंह (अडिल्ल छंद) सर्वारथ सुविमान त्याग गजपुर में आये| विश्वसेन भूपाल तासु के नंद कहाये|| पंचम-चक्री भये मदन-द्वादशवें राजे| मैं सेवूँ तुम चरण तिष्ठये ज्यों दु:ख भाजे|| ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर! अवतर! संवौषट्! (इति आह्वाननम्) ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ! तिष्ठ! ठ:! ठ:! (इति स्थापनम्) ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथ जिनेन्द्र! अत्र … Read more

श्री धर्मनाथ जी जिन पूजा – Shree Dharmnath Jin Pooja

siddha puja bhasha

तजि के सरवारथसिद्धि विमान, सुभान के आनि आनन्द बढ़ाये| जगमात सुव्रति के नन्दन होय, भवोदधि डूबत जंतु कढ़ाये|| जिनके गुन नामहिं प्रकाश है, दासनि को शिवस्वर्ग मँढ़ाये| तिनके पद पूजन हेत त्रिबार, सुथापतु हौं इहं फूल चढ़ाये|| ॐ ह्रीं श्रीधर्मनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ ह्रीं श्रीधर्मनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः| ॐ … Read more

श्री अनंतनाथ जी जिन पूजा – Shree Anantnath Jin Pooja

Siddhapuja hirachand

पुष्पोत्तर तजि नगर अजुध्या जनम लियो सूर्या उर आय, सिंघसेन नृप के नन्दन, आनन्द अशेष भरे जगराय| गुन अंनत भगवंत धरे, भवदंद हरे तुम हे जिनराय, थापतु हौं त्रय बार उचरि के, कृपासिन्धु तिष्ठहु इत आय|| ॐ ह्रीं श्रीअनन्तनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ ह्रीं श्रीअनन्तनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः| ॐ ह्रीं … Read more

श्री विमलनाथ जी जिन पूजा – Shree Vimalnath Jin Pooja

Siddhapuja hirachand

सहस्रार दिवि त्यागि, नगर कम्पिला जनम लिय| कृतधर्मानृपनन्द, मातु जयसेना धर्मप्रिय || तीन लोक वर नन्द, विमल जिन विमल विमलकर| थापौं चरन सरोज, जजन के हेतु भाव धर|| ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः| ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्| … Read more

श्री वासुपूज्य जी जिन पूजा – Shree Vasupujya Jin Pooja

siddha puja bhasha

श्रीमत् वासुपूज्य जिनवर पद, पूजन हेत हिये उमगाय| थापौं मन वच तन शुचि करके, जिनकी पाटलदेव्या माय|| महिष चिह्न पद लसे मनोहर, लाल वरन तन समतादाय| सो करुनानिधि कृपादृष्टि करि, तिष्ठहु सुपरितिष्ठ इहं आय|| ॐ ह्रीं श्रीवासुपूज्य जिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ ह्रीं श्रीवासुपूज्य जिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः| ॐ ह्रीं … Read more

श्री श्रेयांसनाथ जी जिन पूजा – Shree Shreyanshnath Jin Pooja

Siddhapuja hirachand

विमल नृप विमला सुअन, श्रेयांसनाथ जिनन्द| सिंहपुर जन्मे सकल हरि, पूजि धरि आनन्द|| भव बंध ध्वंसनिहेत लखि मैं शरन आयो येव| थापौं चरन जुग उरकमल में, जजनकारन देव|1| ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः| ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्| … Read more