श्री शांतिनाथ जिन पूजा – Shri Shantinaath Jin Pooja

Siddhapuja hirachand

कविश्री बख्तावरसिंह (अडिल्ल छंद) सर्वारथ सुविमान त्याग गजपुर में आये| विश्वसेन भूपाल तासु के नंद कहाये|| पंचम-चक्री भये मदन-द्वादशवें राजे| मैं सेवूँ तुम चरण तिष्ठये ज्यों दु:ख भाजे|| ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर! अवतर! संवौषट्! (इति आह्वाननम्) ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ! तिष्ठ! ठ:! ठ:! (इति स्थापनम्) ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथ जिनेन्द्र! अत्र … Read more

श्री धर्मनाथ जी जिन पूजा – Shree Dharmnath Jin Pooja

siddha puja bhasha

तजि के सरवारथसिद्धि विमान, सुभान के आनि आनन्द बढ़ाये| जगमात सुव्रति के नन्दन होय, भवोदधि डूबत जंतु कढ़ाये|| जिनके गुन नामहिं प्रकाश है, दासनि को शिवस्वर्ग मँढ़ाये| तिनके पद पूजन हेत त्रिबार, सुथापतु हौं इहं फूल चढ़ाये|| ॐ ह्रीं श्रीधर्मनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ ह्रीं श्रीधर्मनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः| ॐ … Read more

श्री अनंतनाथ जी जिन पूजा – Shree Anantnath Jin Pooja

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पुष्पोत्तर तजि नगर अजुध्या जनम लियो सूर्या उर आय, सिंघसेन नृप के नन्दन, आनन्द अशेष भरे जगराय| गुन अंनत भगवंत धरे, भवदंद हरे तुम हे जिनराय, थापतु हौं त्रय बार उचरि के, कृपासिन्धु तिष्ठहु इत आय|| ॐ ह्रीं श्रीअनन्तनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ ह्रीं श्रीअनन्तनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः| ॐ ह्रीं … Read more

श्री विमलनाथ जी जिन पूजा – Shree Vimalnath Jin Pooja

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सहस्रार दिवि त्यागि, नगर कम्पिला जनम लिय| कृतधर्मानृपनन्द, मातु जयसेना धर्मप्रिय || तीन लोक वर नन्द, विमल जिन विमल विमलकर| थापौं चरन सरोज, जजन के हेतु भाव धर|| ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः| ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्| … Read more

श्री वासुपूज्य जी जिन पूजा – Shree Vasupujya Jin Pooja

siddha puja bhasha

श्रीमत् वासुपूज्य जिनवर पद, पूजन हेत हिये उमगाय| थापौं मन वच तन शुचि करके, जिनकी पाटलदेव्या माय|| महिष चिह्न पद लसे मनोहर, लाल वरन तन समतादाय| सो करुनानिधि कृपादृष्टि करि, तिष्ठहु सुपरितिष्ठ इहं आय|| ॐ ह्रीं श्रीवासुपूज्य जिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ ह्रीं श्रीवासुपूज्य जिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः| ॐ ह्रीं … Read more

श्री श्रेयांसनाथ जी जिन पूजा – Shree Shreyanshnath Jin Pooja

Siddhapuja hirachand

विमल नृप विमला सुअन, श्रेयांसनाथ जिनन्द| सिंहपुर जन्मे सकल हरि, पूजि धरि आनन्द|| भव बंध ध्वंसनिहेत लखि मैं शरन आयो येव| थापौं चरन जुग उरकमल में, जजनकारन देव|1| ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः| ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्| … Read more

श्री शीतलनाथ जी जिन पूजा – Shree Sheetalnaath Jin Pooja

siddha puja bhasha

शीतलनाथ नमौं धरि हाथ, सु माथ जिन्हों भव गाथ मिटाये | अच्युत तें च्युत मात सुनन्द के, नन्द भये पुर बद्दल आये || वंश इक्ष्वाकु कियो जिन भूषित, भव्यन को भव पार लगाये | ऐसे कृपानिधि के पद पंकज, थापतु हौं हिय हर्ष बढ़ाये || ॐ ह्रीं श्रीशीतलनाथ जिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ … Read more

श्री पुष्पदंत जिन पूजा – Shree Pushpdant Jin Pooja

Siddhapuja hirachand

पुष्पदन्त भगवन्त सन्त सु जपंत तंत गुन| महिमावन्त महन्त कन्त शिवतिय रमन्त मुन|| काकन्दीपुर जन्म पिता सुग्रीव रमा सुत| श्वेत वरन मनहरन तुम्हैं थापौं त्रिवार नुत|| ॐ ह्रीं श्रीपुष्पदन्त जिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ ह्रीं श्रीपुष्पदन्त जिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः| ॐ ह्रीं श्रीपुष्पदन्त जिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव … Read more

श्री चंद्रप्रभु जिन पूजा – Shree Chandraprabhu Jin Pooja

Dev Shastra Guru Pooja

चारुचरन आचरन, चरन चितहरन चिन्ह चर | चंद-चंद-तनचरित, चंद थल चहत चतुर नर || चतुक चंड चकचूरि, चारि चिद्चक्र गुनाकर | चंचल चलित सुरेश, चूलनुत चक्र-धनुरधर || चर अचर हितू तारन तरन, सुनत चहकि चिर नंद शुचि | जिनचंद चरन चरच्यो चहत, चितचकोर नचि रच्चि रुचि |1| धनुष डेढ़ सौ तुंग तन, महासेन नृपनंद | … Read more

श्री पद्मप्रभ जिन पूजा (बाड़ा) – Shree Padamprabu Jin Pooja

Dev Shastra Guru Pooja

श्रीधर-नंदन पद्मप्रभ, वीतराग जिननाथ| विघ्नहरण मंगलकरन, नमौं जोरि जुग-हाथ|| जन्म-महोत्सव के लिए, मिलकर सब सुरराज| आये कौशाम्बी नगर, पद-पूजा के काज|| पद्मपुरी में पद्मप्रभ, प्रकटे प्रतिमा-रूप| परम दिगम्बर शांतिमय, छवि साकार अनूप|| हम सब मिल करके यहाँ, प्रभु-पूजा के काज| आह्वानन करते सुखद, कृपा करो महाराज|| ॐ ह्रीं श्री पद्मप्रभजिनेन्द्र! अत्र अवतर! अवतर! संवौषट (आहवानानम्)। … Read more