प्रथमं मंगलम मंत्र नवकार, इसके जपने से होता है भव पार…Jain Bhajan
तर्ज – भर दो झोली मेंरी… प्रथमं मंगलम मंत्र नवकार, इसके जपने से होता है भव पार। पांच पदों के […]
भजन एक धार्मिक गीत होता है जो भक्ति और आदर के साथ भगवान, देवी-देवताओं, गुरु, या दिव्यता की स्तुति के लिए गाया जाता है। भजन आध्यात्मिक भावनाओं को व्यक्त करने का एक माध्यम होता है और धार्मिक साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
तर्ज – भर दो झोली मेंरी… प्रथमं मंगलम मंत्र नवकार, इसके जपने से होता है भव पार। पांच पदों के […]
मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूं, मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूं ॥ मैं हूं अपने में स्वयं पूर्ण, पर की मुझमें कुछ गंध
(लय – ये तो सच है की भगवान है…) ये तो सच है कि नवकार में, सब मंत्रो का ही
(तर्ज – महलो का राजा मिला, के रानी बेटी राज करेगी…) अमृत से गगरी भरो, कि न्हवन प्रभु आज करेंगे।
तर्ज – रिश्तो के भी रूप बदलते है…क्योकि सास भी कभी बहू थी। पल पल जीवन बीता जाता है, बीता
Bhagwan Adinath Jain Bhajan व्हाला आदिनाथ में तो पकड्यो तारो हाथ, मने देजो सदा साथ.. हो.. व्हाला आदिनाथ हो आव्यो
मेरे सर पर रख दो भगवन, अपने ये दोनों हाथ, देना हो तो दीजिये, जनम-जनम का साथ ॥ मेरे सर
Jain Bhajan Tum se Lagi Lagan तुम से लागी लगन, ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा, मेटो मेटो जी संकट
प्रभु वीर ने मुक्ति का पथ दिखाया पथ को हमने ही पंथ बनाया पथ के ऊपर एक बिंदु लगाया बिंदु