परमर्षि स्वस्ति मंगल पाठ | Paramarshi Swasti Mangal Path

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परमर्षि स्वस्ति मंगल पाठ (प्रत्येक श्लोक के बाद पुष्प क्षेपण करें ) (उपजातिच्छन्दः) नित्याप्रकम्पाद्भुतकेवलौघाः, स्फुरन्मनःपर्ययशुद्धबोधाः दिव्यावधि-ज्ञानबलप्रबोधाः, स्वस्ति क्रियासुः परमर्षयो नः॥१॥ कोष्ठस्थ-धान्योपम-मेकबीजं, संभिध-संश्रोतृपदानुसारि । चतुर्विधं बुद्धिबलं दधानाः, स्वस्ति क्रियासुः परमर्षयो नः ||२|| संस्पर्शनं संश्रवणं च दूरादास्वादन घ्राण-विलोकनानि । दिव्यान्मतिज्ञानबलाब्रहन्तः, स्वस्ति क्रियासुः परमर्षयो नः ||३|| प्रज्ञाप्रधानाः श्रमणाः समृद्धाः, प्रत्येक-बुद्धाः दशसर्वपूर्व: । प्रवादिनोऽष्टाङ्गनिमित्तविज्ञाः, स्वस्ति क्रियासुः परमर्षयो नः ||४|| … Read more

नित्य पूजा पीठिका | Nitya Puja Pithika

siddha puja bhasha

नित्य पूजा पीठिका ॐ जय जय जय नमोऽस्तु नमोऽस्तु नमोऽस्तु । णमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं,   णमो  लोए  सव्व साहूणं॥ “चत्तारि मंगलं अरहंत मंगलं सिद्ध मंगलं साहु मंगलं                           केवलिपण्णत्तो धम्मो मंगलं। चत्तारि लोगुत्तमा अरहंत लोगुत्तमा सिद्ध लोगुत्तमा साहु  लोगुत्तमा  … Read more

विनय पाठ || Vinay Path

Samuchchay Puja

इह विधि ठाडो होय के, प्रथम पढ़ै जो पाठ; धन्य जिनेश्वर देव तुम, नाशे कर्म जु आठ. |1| अनंत चतुष्टय के धनी, तुम ही हो सिरताज; मुक्ति-वधू के कन्त तुम, तीन भुवन के राज. |2| तिंहु जग की पीड़ा हरन, भवदधि-शोषणहार; ज्ञायक हो तुम विश्व के, शिव सुख के करतार. |3| हरता अघ अंधियार के, … Read more

जिन शान्तिधारा || Shantidhara

Siddhapuja hirachand

ओं ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अर्हं वं मं हं सं तं पं वंवं मंमं हंहं संसं तंतं पंपं झंझं झ्वीं झ्वीं क्ष्वीं क्ष्वीं द्रां द्रां द्रीं द्रीं द्रावय-द्रावय नमोऽर्हते भगवते श्रीमते ओं ह्रीं क्रों अस्माकं पापं खण्डय खण्डय जहि-जहि दह-दह पच-पच पाचय पाचय ओं नमो अर्हन् झं झ्वीं क्ष्वीं हं सं झं वं ह्व: प: … Read more

जलाभिषेक वा प्रक्षाल-पाठ || Jalabhishek Path

Babhubali Bhagwan

जय-जय भगवंते सदा, मंगल मूल महान।वीतराग सर्वज्ञ प्रभु,नमौ जोरि जुगपान।। (ढाल मंगल की,छंद अडिल्ल और गीता) श्रीजिन जगमें ऐसो को बुधवंत जू। जो तुम गुण वरननि करि पावै अंत जू।।इंद्रादिक सुर चार ज्ञानधारी मुनी।कहि न सकै तुम गुणगण हे त्रिभुवनधनी।। अनुपम अमित तुम गुणनि-वारिधि,ज्यों अलोकाकाश है। किमि धरै हम उर कोषमें सो अकथ-गुण-मणि-राश है।पै निज … Read more

माघनन्दिमुनिकृताभिषेक-पाठ

Gomtesh bahubali

श्रीमन्नतामरशिरस्तट-रत्न-दीप्ति-तोयावभासि-चरणाम्बुज-युग्ममीशम् अर्हन्तमुन्नत-पद-प्रदमाभिनम्य, तन्मूर्तिषूद्यदभिषेक-विधिं करिष्ये ॥१॥अथ पौर्वाह्णिकदेव-वन्दनायां पूर्वाचार्यानुक्रमेण सकलकर्मक्षयार्थं भावपूजा- वन्दनास्तव-समेतं श्रीपञ्चगुरुभक्ति-पुरस्सरं कायोत्सर्गं करोम्यहम् ( यह पढ़कर नौ बार णमोकार मंत्र पढ़ें)याः कृत्रिमास्तदितराः प्रतिमा जिनस्य, संस्नापयन्ति पुरुहूत-मुखादयस्ताः । सद्भाव-लब्धि समयादि-निमित्तयोगात्, तत्रैवमुज्ज्वलधिया कुसुमं क्षिपामि ||२|| (यह पढ़कर थाली में पुष्पाञ्जलि छोड़कर अभिषेक की प्रतिज्ञा करें।) श्रीपीठक्लृप्ते विशदाक्षतौघैः, श्रीप्रस्तरे पूर्णशशाङ्क कल्पे । श्रीवर्तके चन्द्रमसीति वार्तां सत्यापयन्तीं श्रियमालिखामि ||३||ॐ … Read more

णामोकार महामंत्र पूजा || Namokar MahaMantra Puja

णमोकार महामन्त्र namokar mantra

आर्यिका ज्ञानमति माता जी गीता छन्दअनुपम अनादि अनंत है, यह मंत्रराज महान् है |सब मंगलों में प्रथम मंगल, करता अघ की हान है ||अरिहन्त सिद्धाचार्य पाठक, साधुओं की वंदना |इस शब्दमय परब्रह्म को, थापूँ करूँ नित अर्चना ||१||          ओं ह्रीं श्री अनादिऽनिधनपंचनमस्कारमंत्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्! (आह्वाननम्)ओं ह्रीं श्री अनादिऽनिधन … Read more

नवदेवता जिनपूजा || Nav Devta JinPuja

Gomtesh bahubali

जिनगीतिका (तर्ज-प्रभु पतित पावन……!) अरहंत सिद्धाचार्य पाठक, साधु जन के पद नमूँ, जिनधर्म जैनागम जिनेश्वर, मूर्ति जिनगृह में रमूँ । नवदेव मुझको वैद्य सम हों, जन्म मृति जर रुज हरें, जिन नाम पद मम औषधी हों, माथ पर पद रज धरें ॥ ओं ह्रीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुजिनधर्मजिनागमजिनचैत्य चैत्यालय देवताः अत्र अव अवतरत संवौषट् आह्वाननम् ! अत्र तिष्ठत … Read more

देव शास्त्र गुरु पूजा – 1 || Dev Shastra Guru Puja

Acharya Shri Vidhya Sagar Ji Maharaj

जिनगीतिका शुचि ध्यान से  त्रेसठ  प्रकृति  हन,  वीतरागी हो गये, दृग ज्ञान सुख वीरज चतुष्टय, गुण अनंत  निजी  लिये। तीर्थेश बन उपदेश दे, अनगिन भविक निज सम किये, जिनदेव  श्रुत  गुरु  बोध  डालो, आज  मेरे  भी  हिये ॥ ओं ह्रीं देवशास्त्रगुरु समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम् अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्! अत्र मम … Read more

समुच्चय पूजा । Samuchchay Puja

Samuchchay Puja

देवशास्त्र गुरु नमन करि, बीस तीर्थङ्कर ध्याय।सिद्ध शुद्ध राजत सदा, नमूँ चित्त हुलसाय॥ ॐ ह्रीं श्री देवशास्त्र गुरु भगवन्तः, श्री अनंतानंत सिद्ध परमेष्ठिन:, श्री विद्यमान विंशति तीर्थंकरेभ्यः अत्र अवतरत अवतरत संवौषट्।   ॐ ह्रीं श्री देवशास्त्र गुरु भगवंतेभ्यः, श्रीविद्यमानविंशतितीर्थङ्करा:, श्रीअनन्तानन्त सिद्धपरमेष्ठिन:, अत्र तिष्ठत तिष्ठत ठ: ठ: स्थापनम्।   ॐ ह्रीं श्री देवशास्त्र गुरु भगवंतेभ्यः, श्रीविद्यमानविंशतितीर्थंकरा:, श्रीअनन्तानन्त सिद्धपरमेष्ठिन: … Read more