दर्शन – स्तुति (अति पुण्य) || Darshan Stuti

Samuchchay Puja

सखी अति पुण्य उदय मम आया, प्रभु तुमरा दर्शन पाया। अब तक तुमको बिन जाने, दुख पाये निज गुण हाने। हरिगीतिका पाये अनन्ते दुःख अब तक, जगत को निज जानकर। सर्वज्ञ भाषित जगत हितकर, धर्म नहिं पहिचान कर॥ भव बंधकारक सुख प्रहारक, विषय में सुख मानकर। निज पर विवेचक ज्ञानमय, सुखनिधि सुधा नहिं पानकर ॥१॥ … Read more