अपना करना हो कल्याण, साँचे गुरुवर को पहिचान…Jain Bhajan

jain bhajan

अपना करना हो कल्याण, साँचे गुरुवर को पहिचान। जिनकी वाणी में अमृत बरसता है ।। रहते शुद्धातम में लीन, जो है विषय-कषाय विहीन। जिनके ज्ञान में ज्ञायक झलकता है ।।1।। जिनकी वीतराग छवि प्यारी, मिथ्यातिमिर मिटावनहारी। जिनके चरणों में चक्री भी झुकता है ।।2।। पाकर ऐसे गुरु का संग, ध्यावो ज्ञायक रूप असंग।। निज के … Read more