चैतन्य के दर्पण में, आनंद के आलय में…Jain Bhajan

bhagwan munisubratnath

चैतन्य के दर्पण में, आनंद के आलय में। बस ज्ञान ही बस ज्ञान है, कोई कैसे बतलाए|| निज ज्ञान में बस ज्ञान है, ज्यों सूर्य रश्मि खान, उपयोग में उपयोग है, क्रोधादि से दरम्यान | इस भेद विज्ञान से, तुझे निर्णय करना है, अपनी अनुभूति में, दिव्य दर्शन हो जाए ।।(1) निज ज्ञान में पर … Read more