देव-स्तुति (अहो जगत-गुरु) || Dev Stuti

Samuchchay Puja

कविवर भूधरदास ढाल परमादी अहो जगत-गुरु! देव’ ! सुनिए अरज हमारी। तुम प्रभु दीनदयाल, मैं दुखिया संसारी ॥१॥ इस भव-वन में वादि, काल अनादि गमायो। भ्रभ्यो चहूँ गति माँहिं, सुख नहिं दुख बहु पायो ॥२॥ कर्म-महारिपु जोर, एक न कान करैं जी। मनमाने दुख देहिं, काहू सौं नाहिं डरैं जी ॥३॥ कबहुँ इतर निगोद, कबहूँ … Read more