प्रातः कालीन स्तुति || Prat Kaleen Stuti
प्रातः कालीन स्तुति वीतराग सर्वज्ञ हितङ्कर, भविजन की अब पूरी आश।ज्ञानभानु का उदय करो मम, मिथ्यातम का होय विनाश।।जीवों की हम करुणा पाल, झूठ वचन नहि कह कदा। परधन कबहूँ न हरहूँ स्वामी, ब्रह्मचर्य व्रत रखें सदा।।तृष्णा लोभ बढ़े न हमारा, तोष सुधा नित पिया करें।श्रीजिन धर्म हमारा प्यारा, तिसकी सेवा किया करें।।दूर भगावें बुरी … Read more