भक्तामर स्तोत्र (भाषा) Bhaktamar Stotra Hindi

Siddhapuja hirachand

श्री प. हेमराज जी आदिपुरुष आदीश जिन, आदि सुविधि करतार।धरम-धुरंधर परमगुरु, नमों आदि अवतार॥ सुर-नत-मुकुट रतन-छवि करैं,अंतर पाप-तिमिर सब हरैं।जिनपद बंदों मन वच काय,भव-जल-पतित उधरन-सहाय॥1॥ श्रुत-पारग इंद्रादिक देव,जाकी थुति कीनी कर सेव।शब्द मनोहर अरथ विशाल,तिस प्रभु की वरनों गुन-माल॥2॥ विबुध-वंद्य-पद मैं मति-हीन,हो निलज्ज थुति-मनसा कीन।जल-प्रतिबिंब बुद्ध को गहै,शशि-मंडल बालक ही चहै॥3॥ गुन-समुद्र तुम गुन अविकार,कहत … Read more