मोह जाल में फंसे हुए हैं, कर्मो ने आ घेरा…Jain Bhajan

Abhinandannath

मोह जाल में फँसे हुये हैं कर्मों ने आ घेरा, कैसे तिरेंगे भव-सागर से, तुम बिन कौन है मेरा। भूल हुई क्या हमसे भगवन क्या है दोष हमारा, लिखा विधाता ने किन घड़ियों ऐसा लेख हमारा।। लेख लिखा था शुभ घड़ियों में, शुभ घड़ियां हैं आई। आत्मज्ञान की ज्योति जगा दो भव से पार उतरता … Read more