श्री पार्श्वनाथ जिन पूजा (बख्तावर सिंह)- SHRI PARSHWANATH JIN POOJA
कवि श्री बख्तावरसिंह (गीता छन्द) वर स्वर्ग प्राणत सों विहाय सुमात वामा-सुत भये| अश्वसेन के पारस जिनेश्वर चरन जिनके सुर नये|| नव-हाथ-उन्नत तन विराजे उरग-लच्छन अति लसें| थापूँ तुम्हें जिन आय तिष्ठो! करम मेरे सब नसें|| ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर! अवतर! संवौषट्! (इति आह्वाननम्) ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ! तिष्ठ! ठ:! ठ:! (इति स्थापनम्) … Read more