जैन चारित्र-शुद्धि व्रत पूजा || Charitra Shuddhi Vrat Pooja
दोहा शुद्ध सुगुण छ्यालीस युत, समोशरण के ईश । निज आतम उद्धार हित, नमत चरण में शीश ॥१॥ आत्म-शुद्धि के अर्थ हम, जिनवर पूज रचाय । रत्नत्रय की प्राप्ति हित, श्री जिनेन्द्र गुण गाय ॥२॥ करूँ त्रिविधि शुधियोग से, आह्वानन विधि सार । आवहु तिष्ठहु हृदय में, नाथ त्रिलोक अधार ||३|| सोरठा व्रत चरित्र महान, … Read more