दसलक्षण पर्व – उत्तम संयम धर्म🙏 uttam Sanyam

uttam sanyam dharma

स्पर्शन, रसना, घ्राण, नेत्र, कर्ण और मन पर नियंत्रण (दमन, कन्ट्रोल) करना इन्द्रिय-संयम है। पृथ्वीकाय, जलकाय, अग्निकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय और त्रसकाय जीवों की रक्षा करना प्राणी संयम है इन दोनों संयमों में इन्द्रिय संयम मुख्य है क्योंकि इन्द्रिय संयम प्राणी संयम का कारण है, इन्द्रिय संयम होने पर भी प्राणी संयम होता हैं, बिना इन्द्रिय … Read more

दसलक्षण पर्व – उत्तम सत्य धर्म🙏 Uttam Satya

uttam satya dharma

मनुष्य अनेक कारणों से असत्य बोला करता है, उनमें से एक तो झूठ बोलने का प्रधान कारण लोभ है। लोभ में आकर मनुष्य अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिये असत्य बोला करता है। असत्य भाषण करने का दूसरा कारण भय है। मनुष्य को सत्य बोलने से जब अपने ऊपर कोई आपत्ति आती हुई दिखाई देती … Read more

दसलक्षण पर्व – उत्तम आर्जव धर्म🙏 Uttam Aarjav

uttam aarjav dharma

धर्म का श्रेष्ठ लक्षण आर्जव है। आर्जव का अर्थ सरलता है। मन-वचन-काय की कुटिलता का अभाव वह आर्जव है। कपट सभी अनर्थों का मूल है ; प्रीति तथा प्रतीति का नाश करने वाला है। कपटी में असत्य, छल,निर्दयता, विश्वासघात आदि सभी दोष रहते हैं। कपटी में गुण नहीं किन्तु समस्त दोष रहते हैं। मायाचारी यहाँ … Read more

दसलक्षण पर्व – उत्तम मार्दव धर्म🙏 Uttam Mardav

uttam maardav dharma

मार्दव धर्म आत्मा अर्थात् निजात्मा स्व-स्वरूप का धर्म है। जहाँ मृदु भाव या नम्रता नहीं है वहाँ धर्म भी नहीं है। विनम्र वो नही जो बड़ों को सम्मान दे अपितु वह है जो छोटों का भी मान रखे अपनी प्रशंसा सुनकर सब सुखी होते हैं, धर्मी तो वह है जो दूसरे की प्रशंसा सुनकर सुखी … Read more

दसलक्षण पर्व – उत्तम क्षमा धर्म🙏 Uttam Kshama

uttam kshama dharma

संसार में प्रत्येक मानव प्राणी के लिए क्षमा रूपी शास्त्र इतना आवश्यक है कि जिनके पास यह क्षमा नहीं होती वह मनुष्य संसार में अपने इष्ट कार्य की सिद्धि नहीं कर सकता है। क्षमा यह आत्मा का धर्म है, इसलिए जो मानव अपना कल्याण चाहते हैं, उन्हें हमेशा इस भावना की रक्षा करनी चाहिए। क्षमावान् … Read more