जीवन के किसी भी पल में वैराग्य उमड सकता है… Jain Bhajan

suparshvnath bhagwan

तर्ज – ऐ मेरे वतन के लोगो  जीवन के किसी भी पल में वैराग्य उमड सकता है संसार में रहकर प्राणी, संसार को तज सकता है ॥ कहीं दर्पण देख विरक्ति, कहीं मृतक देख वैरागी, बिन कारण दीक्षा लेता, वो पूर्व जन्म का त्यागी, निर्ग्रन्थ साधु ही इतने, सदगुण से सज सकता है ॥१॥ आत्मा … Read more