कैसी सुन्दर जिन प्रतिमा – Jain Bhajan
तर्ज : चाँद सी महबूबा हो मेरे कब कैसी सुन्दर जिन प्रतिमा है, कैसा सुंदर है जिन रूप । जिसे देखते सहज दीखता, सबसे सुंदर आत्मस्वरुप ॥ नग्न दिगम्बर नहीं आडम्बर, स्वाभाविक है शांत स्वरुप । नहीं आयुध नहीं वस्त्राभूषण, नहीं संग नारी दुःख रूप ॥१॥ बिन श्रृंगार सहज ही सोहे, त्रिभुवन माहि अतिशय रूप … Read more