निर्वाण कांड – Nirvan Kand
जैन धर्म निर्वाण कांड (दोहा) वीतराग वन्दौं सदा, भाव सहित सिर नाय| कहूं काण्ड निर्वाण की, भाषा सुगम बनाये || (चौपाई) अष्टापद आदीश्वर स्वामि, वासुपूज्य चम्पापुरि नामि| नेमिनाथ स्वामी गिरनार, वन्दौं भाव भगति उर धार ||1|| चरम तीर्थकर चरम शरीर, पावापुरि स्वामि महावीर| शिखर समेद जिनेसुर बीस, भावसहित वन्दौं निश दीस ||2|| वरदत्तराय रु इन्द … Read more