Mangal Gaan || मंगल गान(आचार्य श्री विधासागर द्वारा रचित)

Acharya Shri Vidhya Sagar Ji Maharaj

मंगल गान (आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी द्वारा रचित) हे ! शान्त सन्त अरहन्त अनन्त ज्ञाता, हे ! शुद्ध-बुद्ध जिन सिद्ध अबद्ध धाता। आचार्यवर्य उवझाय सुसाधु सिन्धु, मैं बार-बार तुम पाद – पयोज बन्दूँ ।। १॥ है मूलमंत्र नवकार सुखी बनाता, जो भी पढ़े विनय से अघ को मिटाता। है आद्य मंगल यही सब मंगलों … Read more