नवदेवता जिनपूजा || Nav Devta JinPuja
जिनगीतिका (तर्ज-प्रभु पतित पावन……!) अरहंत सिद्धाचार्य पाठक, साधु जन के पद नमूँ, जिनधर्म जैनागम जिनेश्वर, मूर्ति जिनगृह में रमूँ । नवदेव मुझको वैद्य सम हों, जन्म मृति जर रुज हरें, जिन नाम पद मम औषधी हों, माथ पर पद रज धरें ॥ ओं ह्रीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुजिनधर्मजिनागमजिनचैत्य चैत्यालय देवताः अत्र अव अवतरत संवौषट् आह्वाननम् ! अत्र तिष्ठत … Read more