सामायिक पाठ – Samayak Path(काल-अनंत भ्रम्यो)
कविश्री बुध महाचंद्र प्रथम : प्रतिक्रमण-कर्म काल-अनंत भ्रम्यो जग में सहये दु:ख-भारी | जन्म-मरण नित किये पाप को है अधिकारी || कोटि-भवांतर माँहिं मिलन-दुर्लभ सामायिक | धन्य आज मैं भयो योग मिलियो सुखदायक ||१|| हे सर्वज्ञ जिनेश! किये जे पाप जु मैं अब | ते सब मन-वच-काय-योग की गुप्ति बिना लभ || आप-समीप हजूर माँहिं … Read more