है सीमंधर भगवान शरण ली तेरी…Jain Bhajan
हे ! सीमंधर भगवान शरण ली तेरी, बस ज्ञाता दृष्टा रहे परिणति मेरी ||टेक|| निज को बिन जाने नाथ फिरा भव वन में | सुख की आशा से झपटा उन विषयन में || ज्यों कफ में मक्खी बैठ पंख लिपटावे, तब तड़फ-तड़फ दुःख में ही प्राण गमावे || त्यों इन विषयन में मिली, दुखद भवफेरी … Read more