चैतन्य के दर्पण में, आनंद के आलय में…Jain Bhajan

bhagwan munisubratnath

चैतन्य के दर्पण में, आनंद के आलय में। बस ज्ञान ही बस ज्ञान है, कोई कैसे बतलाए|| निज ज्ञान में बस ज्ञान है, ज्यों सूर्य रश्मि खान, उपयोग में उपयोग है, क्रोधादि से दरम्यान | इस भेद विज्ञान से, तुझे निर्णय करना है, अपनी अनुभूति में, दिव्य दर्शन हो जाए ।।(1) निज ज्ञान में पर … Read more

रोम-रोम पुलकित हो जाय, जब जिनवर के दर्शन पाय…Jain Mandir

श्री पुष्पदन्त चालीसा pushpdant chalisa

रोम-रोम पुलकित हो जाय, जब जिनवर के दर्शन पाय। ज्ञानानन्द कलियाँ खिल जाँय, जब जिनवर के दर्शन पाय। जिनमन्दिर में श्री जिनराज, तनमन्दिर में चेतनराज। तन-चेतन को भिन्न-पिछान, जीवन सफल हुआ है आज ॥ वीतराग सर्वज्ञ देव प्रभु, आये हम तेरे दरबार। तेरे दर्शन से निज दर्शन, पाकर होवें भव से पार। मोह-महातम तुरत विलाय, … Read more

Bhagwan Mahaveer (Jain Bhajan)

bhagwan mahaveer swami

प्रभु वीर ने मुक्ति का पथ दिखाया पथ को हमने ही पंथ बनाया पथ के ऊपर एक बिंदु लगाया बिंदु में उलझे, सिंधु भुलाया इस पंथवाद ने हमें कहाँ तक पहुँचाया किससे जीते हम? हमने किसे हराया? हमने किसे हराया? रहें हम महावीर के ही बनकर ना श्वेतांबर, ना दिगंबर हम जैन हैं, कहो हम … Read more