श्रावक प्रतिक्रमण – Shravak Pratikraman
दव्वे खेत्ते काले भावे य कयावराहसोहणयं। जिंदणगरहणजुत्तो मणवककायेण पडिक्कमणं।। गाथार्थ – निन्दा और गहपूर्वक मन-वचन-काय के द्वारा द्रव्य, – क्षेत्र, काल और भाव के विषय में किए गए अपराधों का शोधन करना प्रतिक्रमण है। जीवे प्रमाद – जनिताः प्रचुराः प्रदोषाः, यस्मात्प्रतिक्रमणतः प्रलयं प्रयान्ति। तस्मात्तदर्थ – ममलं गृहि – बोधनार्थं, वक्ष्ये विचित्र – भव- कर्म- विशोधनार्थम् … Read more