Advertise With Us

आत्म-कीर्तन – ATAM KIRTAN

कविश्री मनोहरलाल वर्णी ‘सहजानंद’

हूँ स्वतंत्र निश्चल निष्काम, ज्ञाता-दृष्टा आतम-राम|
मैं वह हूँ जो हैं भगवान्, जो मैं हूँ वह हैं भगवान्|
अन्तर यही ऊपरी जान, वे विराग मैं राग-वितान||१||

मम-स्वरूप है सिद्ध-समान, अमित-शक्ति-सुख-ज्ञान-निधान|
किन्तु आश-वश खोया ज्ञान, बना भिखारी निपट अजान||२||

सुख-दु:खदाता कोई न आन, मोह-राग ही दु:ख की खान|
निज को निज, पर को पर जान, फिर दु:ख का नहिं लेश निदान||३||

जिन,शिव,ईश्वर, ब्रह्मा, राम, विष्णु, बुद्ध, हरि जिसके नाम|
राग-त्याग पहुँचूं निज-धाम, आकुलता का फिर क्या काम||४||

होता स्वयं जगत् परिणाम, मैं जग का करता क्या काम|
दूर हटो पर-कृत परिणाम, सहजानन्द रहूँ अभिराम||५||

हूँ स्वतंत्र निश्चल निष्काम, ज्ञाता-दृष्टा आतम-राम|

*****

Note

Jinvani.in मे दिए गए सभी स्तोत्र, पुजाये, आरती आदि, JAIN ATAM KIRTAN जिनवाणी संग्रह संस्करण 2022 के द्वारा लिखी गई है, यदि आप किसी प्रकार की त्रुटि या सुझाव देना चाहते है तो हमे Comment कर बता सकते है या फिर Swarn1508@gmail.com पर eMail के जरिए भी बता सकते है।

sahi mutual fund kaise chune

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top