श्री पार्श्वनाथ जिन पूजा (बख्तावर सिंह)- SHRI PARSHWANATH JIN POOJA
कवि श्री बख्तावरसिंह (गीता छन्द) वर स्वर्ग प्राणत सों विहाय सुमात वामा-सुत भये| अश्वसेन के पारस जिनेश्वर चरन जिनके सुर […]
पूजा एक धार्मिक आदर व्यक्त करने का एक धार्मिक आयोजन होता है जो भगवान, देवी-देवताओं, गुरु, या किसी पवित्र वस्तु की प्रतिमा, मूर्ति, के सामने किया जाता है
कवि श्री बख्तावरसिंह (गीता छन्द) वर स्वर्ग प्राणत सों विहाय सुमात वामा-सुत भये| अश्वसेन के पारस जिनेश्वर चरन जिनके सुर […]
जैतिजै जैतिजै जैतिजै नेमकी, धर्म औतार दातार श्यौचैनकी| श्री शिवानंद भौफंद निकन्द, ध्यावें जिन्हें इन्द्र नागेन्द्र ओ मैनकी|| परमकल्यान के
श्री नमिनाथ जिनेन्द्र नमौं विजयारथ नन्दन| विख्यादेवी मातु सहज सब पाप निकन्दन|| अपराजित तजि जये मिथिलापुर वर आनन्दन| तिन्हें सु
प्रानत-स्वर्ग विहाय लियो जिन, जन्म सु राजगृही-महँ आई। श्रीसुहमित्त पिता जिनके, गुनवान महा पदमा जसु माई।। बीस-धनू तन श्याम छवी,
अपराजित तें आय नाथ मिथलापुर जाये| कुंभराय के नन्द, प्रभावति मात बताये|| कनक वरन तन तुंग, धनुष पच्चीस विराजे| सो
तप तुरंग असवार धार, तारन विवेक कर| ध्यान शुकल असिधार शुद्ध सुविचार सुबखतर|| भावन सेना, धर्म दशों सेनापति थापे| रतन
अज अंक अजै पद राजै निशंक, हरे भवशंक निशंकित दाता| मदमत्त मतंग के माथे गँथे, मतवाले तिन्हें हने ज्यों अरिहाता||
कविश्री बख्तावरसिंह (अडिल्ल छंद) सर्वारथ सुविमान त्याग गजपुर में आये| विश्वसेन भूपाल तासु के नंद कहाये|| पंचम-चक्री भये मदन-द्वादशवें राजे|
तजि के सरवारथसिद्धि विमान, सुभान के आनि आनन्द बढ़ाये| जगमात सुव्रति के नन्दन होय, भवोदधि डूबत जंतु कढ़ाये|| जिनके गुन