श्री कलिकुंड पार्श्वनाथ जिन पूजा – Shri Parshwnath Pooja

Shri Shankeshwar Parshvnath Jain Tirth

(अडिल्ल छन्द) ह्रूं कार अक्षरात्मक देव जो ध्यावते | देव मनुष्य पशु कृत सो व्याधि नशावते || कांसी तांबे पत्र पे शुद्ध लिखावते | केशर चंदन तापर गंध रचावते || (दोहा) ऐसे अनुपम-यंत्र को, मन वच काय संभार | जे भवि पूजें प्रीति धर, हों भवदधि से पार ||१|| यंत्र-स्थापना (चाल जोगीरासा) है महिमा को … Read more

श्री पार्श्वनाथ-जिन पूजा (पुष्पेंदु) | Parasnath Jin Pooja

Shri Parshvnath Jain Shwetamber Mandir Nedunuru

कविश्री ‘पुष्पेंदु’ हे पार्श्वनाथ! हे अश्वसेन-सुता! करुणासागर तीर्थंकर हे सिद्धशिला के नेता! हे ज्ञान-संपन्न तीर्थंकर || हम भावुकता से भर गए, तुम्हारे नाथ! बुलाया भगवान! गाथा की गंगा से, तुमाने कितनों को तारा है || हम द्वार तुम्हारे आये हैं, करुणा कर नेक निहारो तो | मेरे उर के सिंहासन पर, पग धरो नाथ! खड़े … Read more

श्री महावीर स्वामी जी जिन पूजा – Shree Mahaveer Swami Jin Pooja

Mahaveer Bhagwan pooja

कविश्री वृन्दावनदास (मत्त-गयंद छन्द) श्रीमत वीर हरें भव-पीर, भरें सुख-सीर अनाकुलताई | केहरि-अंक अरीकर-दंक, नयें हरि-पंकति-मौलि सुहाई || मैं तुमको इत थापत हूं प्रभु! भक्ति-समेत हिये हरषाई | हे करुणा-धन-धारक देव! इहाँ अब तिष्ठहु शीघ्रहि आई || ॐ ह्रीं श्रीवर्द्धमानजिनेन्द्र! अत्र अवतर! अवतर! संवौषट्! (इति आह्वाननम्) ॐ ह्रीं श्रीवर्द्धमानजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ! तिष्ठ! ठ:! ठ:! (इति … Read more

श्री पार्श्वनाथ जिन पूजा (बख्तावर सिंह)- SHRI PARSHWANATH JIN POOJA

Parasnath Bhagwan

कवि श्री बख्तावरसिंह (गीता छन्द) वर स्वर्ग प्राणत सों विहाय सुमात वामा-सुत भये| अश्वसेन के पारस जिनेश्वर चरन जिनके सुर नये|| नव-हाथ-उन्नत तन विराजे उरग-लच्छन अति लसें| थापूँ तुम्हें जिन आय तिष्ठो! करम मेरे सब नसें|| ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर! अवतर! संवौषट्! (इति आह्वाननम्) ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ! तिष्ठ! ठ:! ठ:! (इति स्थापनम्) … Read more

श्री नेमिनाथ जी जिन पूजा – Shree Neminath Jin Pooja

Siddhapuja hirachand

जैतिजै जैतिजै जैतिजै नेमकी, धर्म औतार दातार श्यौचैनकी| श्री शिवानंद भौफंद निकन्द, ध्यावें जिन्हें इन्द्र नागेन्द्र ओ मैनकी|| परमकल्यान के देनहारे तुम्हीं, देव हो एव तातें करौं एनकी| थापि हौं वार त्रै शुद्ध उच्चार के, शुद्धताधार भवपार कूं लेन की|| ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ … Read more

श्री नमिनाथ जी जिन पूजा – Shree Naminaath Jin Pooja

siddha puja bhasha

श्री नमिनाथ जिनेन्द्र नमौं विजयारथ नन्दन| विख्यादेवी मातु सहज सब पाप निकन्दन|| अपराजित तजि जये मिथिलापुर वर आनन्दन| तिन्हें सु थापौं यहाँ त्रिधा करि के पदवन्दन|| ॐ ह्रीं श्रीनमिनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ ह्रीं श्रीनमिनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः| ॐ ह्रीं श्रीनमिनाथजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्| सुरनदी जल … Read more

श्री मुनिसुव्रतनाथ जी जिन पूजा – Shree MunisuvratNath Jin Pooja

Siddhapuja hirachand

प्रानत-स्वर्ग विहाय लियो जिन, जन्म सु राजगृही-महँ आई। श्रीसुहमित्त पिता जिनके, गुनवान महा पदमा जसु माई।। बीस-धनू तन श्याम छवी, कछु-अंक हरी वर वंश बताई। सो मुनिसुव्रतनाथ प्रभू कहँ, थापत हूँ इत प्रीत लगाई।। ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतनाथ जिनेन्द्र ! अत्र अवतरत अवतरत संवौषट्! (आह्वाननम्) ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतनाथ जिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठत तिष्ठत ठ: ठ:! (स्थापनम्) … Read more

श्री मल्लिनाथ जी जिन पूजा – Shree Mallinath Jin Pooja

Dev Shastra Guru Pooja

अपराजित तें आय नाथ मिथलापुर जाये| कुंभराय के नन्द, प्रभावति मात बताये|| कनक वरन तन तुंग, धनुष पच्चीस विराजे| सो प्रभु तिष्ठहु आय निकट मम ज्यों भ्रम भाजे|| ॐ ह्रीं श्रीमल्लिनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ ह्रीं श्रीमल्लिनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः| ॐ ह्रीं श्रीमल्लिनाथजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्| … Read more

श्री अरहनाथ जी जिन पूजा – Shree Arahnaath Jin Pooja

Siddhapuja hirachand

तप तुरंग असवार धार, तारन विवेक कर| ध्यान शुकल असिधार शुद्ध सुविचार सुबखतर|| भावन सेना, धर्म दशों सेनापति थापे| रतन तीन धरि सकति, मंत्रि अनुभो निरमापे|| सत्तातल सोहं सुभटि धुनि, त्याग केतु शत अग्र धरि| इहविध समाज सज राज को, अर जिन जीते कर्म अरि|| ॐ ह्रीं श्रीअरहनाथ जिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्| ॐ … Read more

श्री कुंथुनाथ जी जिन पूजा – Shree Kunathunath Jin Pooja

Gomtesh bahubali

अज अंक अजै पद राजै निशंक, हरे भवशंक निशंकित दाता| मदमत्त मतंग के माथे गँथे, मतवाले तिन्हें हने ज्यों अरिहाता|| गजनागपुरै लियो जन्म जिन्हौं, रवि के प्रभु नंदन श्रीमति-माता| सो कुंथु सुकंथुनि के प्रतिपालक, थापौं तिन्हें जुतभक्ति विख्याता| ॐ ह्रीं श्रीकुंथुनाथजिनेन्द्र | अत्र अवतर अवतर संवौषट् | ॐ ह्रीं श्रीकुंथुनाथजिनेन्द्र | अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः … Read more