Shri Vardhman Stotra – श्री वर्धमान स्तोत्र
श्री वर्धमान स्तोत्र (संस्कृत) (1) अदृश्य को दिखाने वाली स्तुति श्री वर्धमान जिनदेव पदारविन्द – युग्म-स्थितांगुलिनखांशु-समूहभासि। प्रद्योततेऽखिल-सुरेन्द्रकिरीट-कोटि र्भक्त्या ‘प्रणम्य’ जिनदेव-पदं […]
स्तोत्र पाठ धार्मिक आयोजनों, पूजा, व्रत, और त्योहारों के दौरान किया जाता है, और यह धार्मिकता के अनुसरण के एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।स्तोत्र पाठ धार्मिक आयोजनों, पूजा, व्रत, और त्योहारों के दौरान किया जाता है, और यह धार्मिकता के अनुसरण के एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
श्री वर्धमान स्तोत्र (संस्कृत) (1) अदृश्य को दिखाने वाली स्तुति श्री वर्धमान जिनदेव पदारविन्द – युग्म-स्थितांगुलिनखांशु-समूहभासि। प्रद्योततेऽखिल-सुरेन्द्रकिरीट-कोटि र्भक्त्या ‘प्रणम्य’ जिनदेव-पदं […]
ॐ नमः सिद्धेभ्यः ॐ जय जय जय नमोऽस्तु ! नमोऽस्तु !! नमोऽस्तु !!! णमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं। णमो
उसहमजियं च वंदे, संभवमभिणंदणं च सुमइं च । पउमप्पहं सुपासं , जिणं च चंदप्पहं वंदे ।। सुविहिं च पुप्फयंतं, सीयल
समाधि भक्ति तेरी छत्रच्छाया भगवन्! मेरे शिर पर हो। मेरा अन्तिम मरणसमाधि, तेरे दर पर हो॥ जिनवाणी रसपान करूँ मैं,
स्वस्ति श्री गणनायकं गजमुखम, मोरेश्वरम सिद्धीधम । बल्लाळो मुरुडम विनायकमहम चिन्तामणि स्थेवरम। लेण्याद्री गिरीजात्मकम सुरवरदम विघ्नेश्वरम् ओझरम । ग्रामो रांजण
जैन धर्म निर्वाण कांड (दोहा) वीतराग वन्दौं सदा, भाव सहित सिर नाय| कहूं काण्ड निर्वाण की, भाषा सुगम बनाये ||
Parasnath Stotra Sanskrit Lyrics नरेन्द्रं फणीन्द्रं सुरेन्द्रं अधीशं, शतेन्द्रं सु पुजै भजै नाय शीशं।मुनीन्द्रं गणीन्द्रं नमे जोड़ि हाथं, नमो देव
यदीये चैतन्ये मुकुर इव भावाश्चिदचित:, समं भान्ति ध्रौव्य-व्यय-जनि-लसन्तोन्तरहिता:| जगत्साक्षी मार्ग-प्रकटनपरो भानुरिव यो, महावीर-स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ||१|| अताम्रं यच्चक्षु: कमल-युगलं
श्री पंचपरमेष्ठी वंदन अरिहन्तो-भगवन्त इन्द्रमहिता: सिद्धाश्च सिद्धीश्वरा:,आचार्या: जिनशासनोन्नतिकरा: पूज्या उपाध्यायका:|श्रीसिद्धान्त-सुपाठका: मुनिवरा: रत्नत्रयाराधका:,पंचैते परमेष्ठिन: प्रतिदिनं कुर्वन्तु ते मंगलम्|| श्रीमन्नम्र – सुरासुरेन्द्र