स्वस्ति श्री गणनायकं गजमुखम, मोरेश्वरम सिद्धीधम ।
बल्लाळो मुरुडम विनायकमहम चिन्तामणि स्थेवरम।
लेण्याद्री गिरीजात्मकम सुरवरदम विघ्नेश्वरम् ओझरम ।
ग्रामो रांजण संस्थीतम गणपति।
कुर्या सदा मंगलम शुभ मंगल सावधान।।१।।
गंगा सिंधु सरस्वतीच यमुना,गोदावरी नर्मदा ।
कावेरी शरयू महेंद्रतनया शर्मण्वति वेदीका ।
शिप्रा वेञवती महासूर नदी,ख्याता गया गंडकी।
पुर्णा पुर्ण जलै, समुद्र सरीता।
कुर्या सदा मंगलम शुभ मंगल सावधान।।२।।
लक्ष्मी कैस्तुभ परिजातक सुरा धन्वंतरीश्वचंद्रमा।
गाव कामदुधा सरेश्वर गजो, रंभादिदेवांगना ।
अश्क सप्त मखो विषम हरिधनु शंखो मृतम चांबुधे ।
रत्नानीह चतुर्दश प्रतिदिनम,कुर्वतु वो मंगलम।
कुर्या सदा मंगलम शुभ मंगल सावधान।।३।।
रामो राजमणी सदा विजयते रामम्।
रमेशम भजे रामेणाभिहता निशाचरचमु।
रामाय तस्मै नमः।
रामान्नस्ति परायणम् परतम् रामस्य दासोराम्यहम् ।
रामे चित्तलय सद भवतु मे भी राम मामुघ्दर।
कुर्या सदा मंगलम शुभ मंगल सावधान।।४।।
राणा भिमक रुक्मीणीस नयनी, देखोनी चिंता करी ।
हि कन्या सगुणा वरा नृपवरा, कवणासी म्या दिईजे।
आता एक विचार कृष्ण नवरा ,त्यासी समर्पु म्हणे।
रुख्मी पुञ वडील त्यासी पुसणे ।
कुर्या सदा मंगलम शुभ मंगल सावधान।।५।।
लाभो संतती संपदा बहु तुम्हा,लाभोतही सद्रुण ।
साधोनि स्थिर कर्मयोग अपुल्या, व्हा बांधवा भूषण।
सारे राष्ट्रधुरिण हेचि कथिती किर्ति करा उज्वल।
गा ग्रहास्याश्रम हा तुम्हा वधूवरा देवो सदा मंगलम् ।
कुर्या सदा मंगलम शुभ मंगल सावधान।।६।।
विष्णूला फमला शिवसी गिरीजा, कृष्णा जशी रुक्मिणी।
सिंधुला सरिता तरुसि लतिका,चंद्रा जशी रोहिणी ।
रामासी जनकात्मजा प्रिया जशी, सवित्री सत्यवरता ।
तैशि ही वधु सजिरी वरीतसे, हर्ष वरासी आता।
कुर्या सदा मंगलम शुभ मंगल सावधान।।७।।
आली लग्न घडी समीप नवरा घेऊनि यावा घरा।
गृहतके मधुपर्क पुजन करा अन्त पाटते धरा।
दृष्टादृष्ट वद्य वरा न करिता , दोघे करावी उभी।
वाजंञे बहु गलबला न करणे, लक्ष्मीपते मंगलम।
कुर्या सदा मंगलम शुछ मंगल सावधान।।८।।

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