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दसलक्षण पर्व – उत्तम आर्जव धर्म🙏 Uttam Aarjav Dharma

धर्म का श्रेष्ठ लक्षण आर्जव है। आर्जव का अर्थ सरलता है। मन-वचन-काय की कुटिलता का अभाव वह आर्जव है। कपट सभी अनर्थों का मूल है ; प्रीति तथा प्रतीति का नाश करने वाला है। कपटी में असत्य, छल,निर्दयता, विश्वासघात आदि सभी दोष रहते हैं। कपटी में गुण नहीं किन्तु समस्त दोष रहते हैं।

मायाचारी यहाँ अपयश को पाकर फिर नरक-तिर्यंचादि गतियों में असंख्यातकाल तक परिभ्रमण करता है।मायाचार रहित आर्जवधर्म के धारक में सभी गुण रहते हैं।समस्त लोक की प्रीति तथा प्रतीति का पात्र होता है। परलोक में देवों द्वारा इंद्र-प्रतीन्द्र आदि होता है।अतः सरल परिणाम ही आत्मा का है।

अच्छी बातों को ही मन में सोचना चाहिए, वचनों से बोलना चाहिए तथा आचरण में लाना चाहिए। बुरे; असभ्य; दूसरों को हानि, दुख पहुंचाने वाले न तो विचार करना चाहिए, यदि विचार आ जाएं तो वचन में नहीं कहना चाहिए तथा वचनों में कदाचित आ भी जाए, तो आचरण में तो बिल्कुल भी नहीं लाना चाहिए।

जीवों को अपने तीनों योग (मन-वचन-काय) में एकता, समानता लाना योग्य है।””जिस प्रकार दर्पण सरल व स्वच्छ होता है, जैसा उसके सामने मुख (चेहरा) होता है, वैसा ही दिखाता है; वैसे ही हमें भी अपने मन-वचन-काय में समानता रखनी चाहिए।””तथा कपट से प्रीति (लगाव) अंगारे के समान है।

जिसप्रकार अंगारे, ऊपर राख होने से ठंडे दिखते हैं, परंतु अंदर अग्नि होने के कारण छूने पर जला देते हैं; वैसे ही, कपट का भाव ऊपर से तो बहुत अच्छा दिखता है (ऐसा लगता है जैसे मैंने दूसरे को ठग लिया, बहुत अच्छा किया) परंतु वास्तविकता में ठग/कपटी स्वयं को ही ठग रहा है।” क्योंकि, कोई और ठगाया जाए अथवा नहीं, पाप कर्म का बंध होने से वह स्वयं ही ठगाया जा रहा है।

🌿 उत्तम आर्जव धर्म (Uttam Aarjava Dharma) – सरलता और निष्कपटता का गुण

‘आर्जव’ का अर्थ होता है – सरलता, निष्कपटता, छल-कपट रहित व्यवहार।
उत्तम आर्जव धर्म का पालन करने वाला व्यक्ति मन, वचन और कर्म से एक समान होता है। उसमें छल, धोखा, पाखंड, या कपट की भावना नहीं होती।

महत्व:

  • यह धर्म हमें आंतरिक ईमानदारी की ओर ले जाता है।

  • बाहरी दिखावे और आडंबर से दूर रहकर आत्मा की सच्चाई को पहचानने की प्रेरणा देता है।

  • आत्मा का शुद्धिकरण तभी संभव है जब हम निष्कपट और सरल हों।

प्रेरणात्मक विचार:

  • जो जैसा है, वैसा ही स्वयं को प्रस्तुत करे – यही आर्जव है।

  • कपट रहित जीवन ही आत्मा के विकास का मार्ग है।

  • मन, वचन और कर्म में साम्य ही सच्चा धर्म है।

व्यवहारिक जीवन में उपयोग:

  • किसी से बात करते समय झूठ या दिखावे से बचना।

  • व्यवहार में पारदर्शिता और सत्यता रखना।

  • अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को धोखा न देना।

उदाहरण:
श्रीराम और महावीर स्वामी जैसे आदर्श व्यक्तित्व आर्जव धर्म के प्रतीक हैं। उन्होंने सदैव सत्य और निष्कपट जीवन जिया।

दसलक्षण के दस धर्म:

  1. उत्तम क्षमा (Forgiveness)
  2. उत्तम मार्दव (Humility)
  3. उत्तम आर्जव (Straightforwardness)
  4. उत्तम शौच (Contentment / Purity)
  5. उत्तम सत्य (Truth)
  6. उत्तम संयम (Self-restraint)
  7. उत्तम तप (Austerity)
  8. उत्तम त्याग (Renunciation)
  9. उत्तम आकिंचन्य (Non-possessiveness)
  10. उत्तम ब्रह्मचर्य (Celibacy / Chastity)
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