आरती करहूं जग देवन की ।
जय बोलो नाभि के नन्दन की।
जय बोलो नाभि के नन्दन की।
सांगानेर में आप बिराजे,
छत्र तीन मस्तक पर छाजे;
छबि सबके मन भावन की,
जय बोलो नाभि के नन्दन की
जय बोलो नाभि के नन्दन की।
महिमा तुम्हारी जग में न्यारी,
कर्म दलन संतन हितकारी;
कटें भवबाधा जन जन की,
जय बोलो नाभि के नन्दन की
जय बोलो नाभि के नन्दन की।
भर भर घृत के दीप जलाये,
नाचैं गावैं हर्ष मनावैं;
महिमा गावैं चरणन की,
जय बोलो नाभि के नन्दन की
जय बोलो नाभि के नन्दन की।
भाव सहित जो तुमको ध्यावैं,
अलबेला वांछित फल पावैं
चरण कमल चित रंजन की
जय बोलो नाभि के नन्दन की
जय बोलो नाभि के नन्दन की।
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Note
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