तीर्थंकर भगवान नमिनाथ का जीवन परिचय
नमिनाथ जी(Bhagwan Naminath) जैन धर्म के इक्कीसवें तीर्थंकर हैं। उनका जन्म मिथिला के इक्ष्वाकुवंशीय क्षत्रिय राजपरिवार में श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अश्विनी नक्षत्र में हुआ था। इनकी माता का नाम विप्रा रानी देवी और पिता का राजा विजय था
केवल ज्ञान की प्राप्ति
भगवान ने वकुलवृक्ष के नीचे बैठकर मगसिर शु. ११ के दिन सायंकाल में केवलज्ञान को प्राप्त कर लिया।
भगवान नमिनाथ का इतिहास
- भगवान का चिन्ह – उनका चिन्ह नील कमल है।
- जन्म स्थान –मिथिलानगरी
- जन्म कल्याणक – आषाढ़ कृ.१०
- केवल ज्ञान स्थान – मगसिर शु. ११, चैत्रवन
- दीक्षा स्थान – चैत्रवन
- पिता – महाराजा विजय
- माता – महारानी वप्पिला (वर्मिला)
- देहवर्ण – तप्त स्वर्ण सदृश
- मोक्ष – वैशाख कृ. १४, सम्मेद शिखर पर्वत
- भगवान का वर्ण – क्षत्रिय (इश्वाकू वंश)
- लंबाई/ ऊंचाई- 60 हाथ
- आयु – दस हजार (१००००) वर्ष
- वृक्ष –वकुलवृक्ष
- यक्ष – श्री विद्युत्प्रभ देव
- यक्षिणी – चामुण्डी देवी
- प्रथम गणधर – श्री सुप्रभार्य
- गणधरों की संख्या – 17
🙏 नमिनाथ का निर्वाण
धर्म का उपदेश देते हुए सम्मेदशिखर पर पहुँचकर एक माह तक योग का निरोध करके वैशाख कृ. १४ के दिन भगवान नमिनाथ नि:श्रेयसपद को प्राप्त हो गये।
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