What is Daslakshan Parva

दस लक्षण पर्व क्या है – What is Daslakshan Parva 

दशलक्षण पर्व जैनों का सबसे महत्वपूर्ण एवं महान पर्व है। दशलक्षण पर्व हम लोक युगारंभ के उद्देश्य से मनाते है। जब पंचमकाल के बाद इस सृष्टि का प्रलय काल आएगा, सृष्टि विनष्ट होगी उसके बाद सुकाल के समय में 7 -7 दिन की 7 सुवृष्टियाँ होती हैं यानी 49 दिन होते हैं, वो 49 दिन आवण बढ़ी एकम से लेकर भादो चौध तक होते हैं और 50वें दिन से जब सृष्टि की शुरुआत हुई तो हमने उसे युगारंभ माना और उसकी शुरुआत हमने धर्म की सारी दुनिया में लोग अलग-अलग तरीके से धर्म करते है, पूजा-पाठ, उत्सव, आराधना आदि।

जैन धर्म में भी बहुत सारे ऐसे पर्व त्यौहार है जिसमें पूजा-पाठ, आराधना आदि की महत्ता है। पर्युषण पर्व में भी हम पूजा तो करते हैं पर भगवान की नहीं, अपितु 10 दिन दस महत्वपूर्ण गुणों की. जिन्हें हम दस धर्म कहते हैं।

दशलक्षण पर्व के दस धर्म

उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच उत्तम सत्य उत्तम संयन, उत्तम तप उत्तम त्याग उत्तम आकिचन और उत्तम ब्रह्मचर्य

दस धर्मों का जैनत्व में स्थान

जैन धर्म की विशेषता है कि व्यक्ति की अपेक्षा गुणों की पूजा को स्थान दिया गया है। इसका प्रमाण है हमारा मूलमंत्र णमोकार मंत्र जिसमें किसी व्यक्ति को नहीं बल्कि अहितों को, सिद्धों को आचायों को, उपाध्याय को लोक के सर्व साधुओं को नमस्कार किया गया है। तीर्थंकरों की पूजा को महापर्व नहीं कहा गया और न ही अन्य पूजा को परन्तु पर्युषण पर्व को महापर्व की संज्ञा दी गयी है। दस धर्म के उदात्त जीवन मूल्य हैं, जो हर व्यक्ति के व्यक्तित्व के लिए जरूरी है।

इसलिए 10 दिनों में विशेष रूप से दस धर्मों की आराधना करके हम अपने अंदर इन गुणों के संस्कारों को भरते हैं। इन 10 दिनों में हम अपने आपको रिचार्ज करते है ताकि आने वाले 355 दिनों तक उसका असर हम पर रह सके गुणों का आराधन के साथ स्याग तपस्या करते हैं। लोग उपवास करते हैं. एकासन करते हैं और अपने जीवन में संयम का पाठ पढ़ते हैं। इस तरह दशलक्षण उदात्त जीवन मूल्यों की आराधना का पर्व है। जिसमें हम जीवन मूल्यों की आराधना करते हैं।

पर्युषण को केवल त्यौहार की तरह न मनाकर अपने जीवन व्यवहार का आधार बना करके मनाए, तो हमारे जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन होगा और हमारे मन के प्रदूषण को दूर करेगा तथा हमारे अंदर शांति एवं सद्भावना भरेगा।

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