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ओ जगत के शांति दाता… Jain Bhajan

“ओ जगत के शांति दाता…” न केवल भक्ति का गीत है, एक अत्यंत भावविभोर करने वाला जैन भजन है, जिसमें भक्त भगवान जिनेंद्रदेव को संपूर्ण जगत के शांति दाता के रूप में स्मरण करता है। यह भजन प्रभु की करुणा, समता और अहिंसा के उस अद्भुत स्वरूप को सामने लाता है, जो संसार के प्रत्येक प्राणी के लिए कल्याणकारी है।

जब संसार में दुख, अशांति और अज्ञानता का अंधकार फैला हो, तब प्रभु जिनेंद्र की वाणी और उनका आदर्श जीवन ही वह दीपक बनता है जो सबको राह दिखाता है। इस भजन में साधक, भगवान से आंतरिक शांति, मार्गदर्शन और वैराग्य की भावना का वरदान माँगता है।

तर्ज : ओ बसंती पवन पागल… (जिस देश में गंगा बहती है)

ओ जगत के शान्तिदाता, शांति जिनेश्वर,
जय हो तेरी…

किसको मैं अपना कहूं, कोई नज़र आता नहीं
इस जहाँ में आप बिन कोई भी मन भाता नहीं
तुम ही हो त्रिभुवन विधाता, शान्ति जिनेश्वर,
जय हो तेरी…

तेरी ज्योति से जहाँ में ज्ञान का दीपक जला
तेरी अमृत वाणी से ही राह मुक्ति का मिला
दो सहारा, मुक्ति दाता, शान्ति जिनेश्वर,
जय हो तेरी…

मोह माया में फंसा, तुमको भी पहिचाना नहीं।
ज्ञान है ना ध्यान दिल में धर्म को जाना नहीं
दो सहारा, मुक्ति दाता, शांति जिनेश्वर,
जय हो तेरी…

बनके सेवक हम खड़े हैं, स्वामी तेरे द्धार पे
हो कृपा तेरी तो बेडा, पार हो संसार से
तेरे गुण स्वामी मैं गाता, शान्ति जिनेश्वर,
जय हो तेरी…

ओ जगत के शान्तिदाता, शांति जिनेश्वर,
जय हो तेरी…

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Note

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