भक्तामर स्तोत्र की महिमा || BHAKTAMAR MAHIMA ||

पं. हीरालाल जैन ‘कौशल’

श्री भक्तामर का पाठ, करो नित प्रातः।
भक्ति मन लाई, सब संकट जाये नशाई॥

जो ज्ञान-मान-मतवारे थे, मुनि मानतुंग से हारे थे।
उन चतुराई से नृपति लिया, बहकाई ॥ सब ॥१॥

मुनि जी को नृपति बुलाया था, सैनिक जा हुक्म सुनाया था।
मुनि वीतराग को आज्ञा नहीं सुहाई ॥ सब ॥२॥

उपसर्ग घेर तब आया था, बलपूर्वक पकड़ मंगवाया था।
हथकड़ी बेड़ियों से तन दिया बंधाई ॥ सब ॥३॥

मुनि काराग्रह भिजवाए थे, अड़तालीस ताले लगाये थे।
क्रोधित नृप बहार पहरा दिया बिठाई ॥ सब ॥४॥

मुनि शान्तभाव अपनाया था, श्री आदिनाथ को ध्याया था।
हो ध्यान मग्न भक्तामर दिया बनाई ॥ सब ॥५॥

सब बंधन टूट गए मुनि के, ताले सब स्वयं खुले उनके।
काराग्रह से आ बाहर दिए दिखाई ॥ सब ॥६॥

राजा नत होकर आया था, अपराध क्षमा करवाया था।
मुनि के चरणों में अनुपम भक्ति दिखाई ॥ सब ॥७॥

जो पाठ भक्ति से करता हैं, नित ऋषभ-चरण चित धरता हैं।
जो ऋद्धि-मंत्र का, विधिवत जाप कराई ॥ सब ॥८॥

भय विघ्न उपद्रव टलते हैं, विपदा के दिवस बदलते हैं।
सब मन वांछित हो पूर्ण, शान्ति छा जाई ॥ सब ॥९॥

जो वीतराग आराधन हैं, आत्म उन्नति का साधन हैं।
उससे प्राणी का भव बन्धन कट जाई ॥ सब ॥१०॥

‘कौशल’ सुभक्ति को पहिचानो, संसार-द्रष्टि बंधन जानो।
लौ भक्तामर से आत्म-ज्योति प्रगटाई ॥ सब ॥११॥

*****

Note

Jinvani.in मे दिए गए सभी स्तोत्र, पुजाये, आरती आदि, BHAKTAMAR STOTRA KI MAHIMA जिनवाणी संग्रह संस्करण 2022 के द्वारा लिखी गई है, यदि आप किसी प्रकार की त्रुटि या सुझाव देना चाहते है तो हमे Comment कर बता सकते है या फिर Swarn1508@gmail.com पर eMail के जरिए भी बता सकते है।

1 thought on “भक्तामर स्तोत्र की महिमा || BHAKTAMAR MAHIMA ||”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top