Jinvani Stuti जिनवाणी स्तुति 

Siddhapuja hirachand

जिनवाणी स्तुति जैन धर्म की पवित्र वाणी के प्रति श्रद्धा और भक्ति प्रकट करने का माध्यम है। इसमें जिनवाणी को सत्य, ज्ञान, और मोक्ष का मार्गदर्शन करने वाली परम पवित्र शक्ति माना गया है। जिनवाणी की स्तुति से मन शुद्ध होता है, आंतरिक शांति मिलती है और आत्मा को मोक्ष की प्रेरणा मिलती है। जिनवाणी … Read more

Shri Parshvanath Stuti श्री पार्श्वनाथ स्तुति

suparshvnath bhagwan

पारसनाथ स्तुति जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के प्रति श्रद्धा और भक्ति प्रकट करने वाला एक पवित्र स्तोत्र है। भगवान पार्श्वनाथ ने चार मुख्य व्रतों—अहिंसा, सत्य, अस्तेय, और अपरिग्रह—का प्रचार किया, जो जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांत हैं। उनकी स्तुति में उनकी करुणा, तपस्या, और उपदेशों का वर्णन किया गया है। पारसनाथ स्तुति … Read more

श्री बड़े बाबा विधान – Shri Bade Baba Vidhan

Shri Bade Baba Vidhan

पूज्य आर्यिका श्री विज्ञानमति माताजी कृत (दोहा) पूज्य बड़े बाबा तुम्हें, कोटि-कोटि परणाम। थुति करता हूँ चाव से, मिट जावे भव नाम ॥ (पद्धरी) जय पूज्य बड़े बाबा महान, तुम दर्शन से हो पाप हान। सब दोष विनाशक धीर वीर, मम दोष विनाशो गुण गरीर॥ मैं दरशन कर जो नन्द पाय, वो कह सकता ना … Read more

Acharya Vandana – जैन आचार्य वंदना

Acharya Shri Vidhya Sagar Ji Maharaj

श्रीसिद्धभक्ति अथ पौर्वाह्निक (अपराह्निक) आचार्य-वन्दना-क्रियायां पूर्वाचार्यानुक्रमेण, सकलकर्मक्षयार्थं भाव-पूजा-वन्दना-स्तव-समेतं श्रीसिद्धभक्तिकायोत्सर्गं कुर्वेऽहम्। (९ बार णमोकार ) सम्मत्त-णाण-दंसण-वीरिय-सुहुमं तहेव अवगहणं। अगुरुलहु-मव्वावाहं, अ_गुणा होंति सिद्धाणं॥ १॥ तवसिद्धे, णय-सिद्धे, संजम-सिद्धे, चरित्त-सिद्धे य। णाणम्मि दंसणम्मि य, सिद्धे सिरसा णमंसामि॥ २॥ इच्छामि भंते। सिद्ध-भत्ति-काउस्सग्गो कओ तस्सालोचेउं सम्म -णाण-सम्म-दंसण-सम्मचरित्त-जुत्ताणं, अ_विह-कम्म-विप्पमुक्काणं-अ_गुण-संपण्णाणं उड्ढलोय- मत्थयम्मि पइ_ियाणं तव-सिद्धाणं, णय-सिद्धाणं, संजम-सिद्धाणं,चरित्त-सिद्धाणं अतीदा-णागद-व_माण-कालत्तय-सिद्धाणं सव्वसिद्धाणं णिच्चकालं अंचेमि पुज्जेमि वंदामि, णमंसामि-दुक्खक्खओ … Read more

श्रावक-प्रतिक्रमण (लघु) | Shravak Pratikraman Laghu

Acharya Shri Vidhya Sagar Ji Maharaj

ॐ नमः सिद्धेभ्यः| ॐ नमः सिद्धेभ्यः| ॐ नमः सिद्धेभ्यः|चिदानन्दैकरुपाय जिनाय परमात्मने|परमात्मप्रकाशाय नित्यं सिद्धात्मने नमः|| अर्थ – उन श्री जिनेन्द्र परमात्मा सिद्धत्मा को नित्य नमस्कार है जो चिदानन्द रुप हैं, अष्ट कर्मों को जीत चुके हैं, परमात्मा स्वरुप हैं और परमात्मा तत्त्व को प्रकाशित करने वाले हैं|पाँच मिथ्यात्व, बारह अवत, पन्द्रह योग, पच्चीस कषाय इस प्रकार … Read more

जैन आलोचना पाठ – Alochana Path

Parasnath Bhagwan

(कवि जौहरिलाल) वंदौं पाँचों परम गुरु, चौबीसों जिनराज। करूँ शुद्ध आलोचना, शुद्धिकरण के काज॥१॥ सुनिये जिन अरज हमारी, हम दोष किये अति भारी। तिनकी अब निर्वृत्ति काजा, तुम सरन लही जिनराजा॥२॥ इक वे ते चउ इन्द्री वा, मनरहित-सहित जे जीवा। तिनकी नहिं करुणा धारी, निरदय ह्वै घात विचारी॥३॥ समरंभ समारंभ आरंभ, मन वच तन कीने … Read more

परमर्षि स्वस्ति मंगल पाठ | Paramarshi Swasti Mangal Path

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परमर्षि स्वस्ति मंगल पाठ (प्रत्येक श्लोक के बाद पुष्प क्षेपण करें ) (उपजातिच्छन्दः) नित्याप्रकम्पाद्भुतकेवलौघाः, स्फुरन्मनःपर्ययशुद्धबोधाः दिव्यावधि-ज्ञानबलप्रबोधाः, स्वस्ति क्रियासुः परमर्षयो नः॥१॥ कोष्ठस्थ-धान्योपम-मेकबीजं, संभिध-संश्रोतृपदानुसारि । चतुर्विधं बुद्धिबलं दधानाः, स्वस्ति क्रियासुः परमर्षयो नः ||२|| संस्पर्शनं संश्रवणं च दूरादास्वादन घ्राण-विलोकनानि । दिव्यान्मतिज्ञानबलाब्रहन्तः, स्वस्ति क्रियासुः परमर्षयो नः ||३|| प्रज्ञाप्रधानाः श्रमणाः समृद्धाः, प्रत्येक-बुद्धाः दशसर्वपूर्व: । प्रवादिनोऽष्टाङ्गनिमित्तविज्ञाः, स्वस्ति क्रियासुः परमर्षयो नः ||४|| … Read more

जिन शान्तिधारा || Shantidhara

Siddhapuja hirachand

ओं ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अर्हं वं मं हं सं तं पं वंवं मंमं हंहं संसं तंतं पंपं झंझं झ्वीं झ्वीं क्ष्वीं क्ष्वीं द्रां द्रां द्रीं द्रीं द्रावय-द्रावय नमोऽर्हते भगवते श्रीमते ओं ह्रीं क्रों अस्माकं पापं खण्डय खण्डय जहि-जहि दह-दह पच-पच पाचय पाचय ओं नमो अर्हन् झं झ्वीं क्ष्वीं हं सं झं वं ह्व: प: … Read more

विनय पाठ || Vinay Path

Samuchchay Puja

इह विधि ठाडो होय के, प्रथम पढ़ै जो पाठ; धन्य जिनेश्वर देव तुम, नाशे कर्म जु आठ. |1| अनंत चतुष्टय के धनी, तुम ही हो सिरताज; मुक्ति-वधू के कन्त तुम, तीन भुवन के राज. |2| तिंहु जग की पीड़ा हरन, भवदधि-शोषणहार; ज्ञायक हो तुम विश्व के, शिव सुख के करतार. |3| हरता अघ अंधियार के, … Read more

नित्य पूजा पीठिका | Nitya Puja Pithika

siddha puja bhasha

नित्य पूजा पीठिका ॐ जय जय जय नमोऽस्तु नमोऽस्तु नमोऽस्तु । णमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं,   णमो  लोए  सव्व साहूणं॥ “चत्तारि मंगलं अरहंत मंगलं सिद्ध मंगलं साहु मंगलं                           केवलिपण्णत्तो धम्मो मंगलं। चत्तारि लोगुत्तमा अरहंत लोगुत्तमा सिद्ध लोगुत्तमा साहु  लोगुत्तमा  … Read more