जलाभिषेक वा प्रक्षाल-पाठ || Jalabhishek Path
जय-जय भगवंते सदा, मंगल मूल महान।वीतराग सर्वज्ञ प्रभु,नमौ जोरि जुगपान।। (ढाल मंगल की,छंद अडिल्ल और गीता) श्रीजिन जगमें ऐसो को बुधवंत जू। जो तुम गुण वरननि करि पावै अंत जू।।इंद्रादिक सुर चार ज्ञानधारी मुनी।कहि न सकै तुम गुणगण हे त्रिभुवनधनी।। अनुपम अमित तुम गुणनि-वारिधि,ज्यों अलोकाकाश है। किमि धरै हम उर कोषमें सो अकथ-गुण-मणि-राश है।पै निज … Read more