जैन स्तोत्र – सुप्रभात स्तोत्रम् || Suprabhat Stotram

Suprabhat Stotram सुप्रभात स्तोत्रम्

शार्दूलविक्रीडितम् यत्स्वर्गावतरोत्सवे यदभवज्जन्माभिषेकोत्सवे,यद्दीक्षाग्रहणोत्सवे यदखिलज्ञानप्रकाशोत्सवे ।यन्निर्वाणगमोत्सवे जिनपतेः, पूजाद्भुतं तद्भवैः,सङ्गीतस्तुतिमङ्गलैः प्रसरतां, मे सुप्रभातोत्सवः ॥१॥ वसन्ततिलकाछन्दः श्रीमन्- नतामर – किरीट-मणिप्रभाभि- रालीढपाद-युग ! दुर्द्धर-कर्मदूर ।श्रीनाभिनन्दन ! जिनाजित! शम्भवाख्य !त्वद्ध्यानतोऽस्तु सततं मम सुप्रभातम् ॥२॥छत्रत्रय-प्रचल-चामर- वीज्यमान ! देवाभिनन्दनमुने ! सुमते ! जिनेन्द्र ! पद्मप्रभारुणमणि-द्युति-भासुराङ्ग !त्वद्ध्यानतोऽस्तु सततं मम सुप्रभातम् ॥३॥ अर्हन्! सुपार्श्व! कदली-दलवर्ण-गात्र, प्रालेय-तारगिरि-मौक्तिक-वर्णगौर !चन्द्रप्रभ ! स्फटिक-पाण्डुर-पुष्पदन्त !त्वद्ध्यानतोऽस्तु सततं मम सुप्रभातम् ॥४॥ब्र. … Read more

प्रातः कालीन स्तुति || Prat Kaleen Stuti

प्रातः कालीन स्तुति

प्रातः कालीन स्तुति वीतराग सर्वज्ञ हितङ्कर, भविजन की अब पूरी आश।ज्ञानभानु का उदय करो मम, मिथ्यातम का होय विनाश।।जीवों की हम करुणा पाल, झूठ वचन नहि कह कदा। परधन कबहूँ न हरहूँ स्वामी, ब्रह्मचर्य व्रत रखें सदा।।तृष्णा लोभ बढ़े न हमारा, तोष सुधा नित पिया करें।श्रीजिन धर्म हमारा प्यारा, तिसकी सेवा किया करें।।दूर भगावें बुरी … Read more

श्री मंगलाष्टक स्तोत्रं(अर्थ के साथ) || Shri Mangalashtak Stotram

Samuchchay Puja

श्री पंचपरमेष्ठी वंदन अरिहन्तो-भगवन्त इन्द्रमहिता: सिद्धाश्च सिद्धीश्वरा:,आचार्या: जिनशासनोन्नतिकरा: पूज्या उपाध्यायका:|श्रीसिद्धान्त-सुपाठका: मुनिवरा: रत्नत्रयाराधका:,पंचैते परमेष्ठिन: प्रतिदिनं कुर्वन्तु ते मंगलम्|| श्रीमन्नम्र – सुरासुरेन्द्र – मुकुट – प्रद्योत – रत्नप्रभाभास्वत्पाद – नखेन्दव: प्रवचनाम्भोधीन्दव: स्थायिन:|ये सर्वे जिन-सिद्ध-सूर्यनुगतास्ते पाठका: साधव:,स्तुत्या योगीजनैश्च पंचगुरव: कुर्वन्तु ते मंगलम् ||१||अर्थ- शोभायुक्त और नमस्कार करते हुए देवेन्द्रों और असुरेन्द्रों के मुकुटों के चमकदार रत्नों की कान्ति … Read more