तर्ज – सावन का महीना…

दुनिया से मैं हारी तो आई तेरे द्वार

यहां से जो मैं हारी कहां जाऊंगी भगवान (2)

सुख में प्रभुवर तेरी याद ना आई

दुख में प्रभुवर तुमसे प्रीत लगाई

सारा दोष है मेरा 2, मैं करती हूं स्वीकार

यहां से जो मैं हारी कहां जाऊंगी भगवान

दुनिया से मैं …

मेरा तो क्या है मैं तो दुनिया से हारा

तुझसे ही पूछेगा संसार ये सारा

डूब रही क्यों नैय्या 2, तेरे रहते खेवन हार  

यहां से जो मैं हारी कहां जाऊंगी भगवान

दुनिया से मैं …

सबको सुनाया मैंने अपना फसाना

सब ने बताया प्रभुवर तेरा ठिकाना

तुमको मैंने माना 2, मात-पिता परिवार

यहां से जो मैं हारी कहां जाऊंगी भगवान

दुनिया से मैं …

Note

Jinvani.in मे दिए गए सभी Jain Bhajan – दुनिया से में हारी, तो आयी तेरे द्वार स्तोत्र, पुजाये और आरती जिनवाणी संग्रह के द्वारा लिखी गई है, यदि आप किसी प्रकार की त्रुटि या सुझाव देना चाहते है तो हमे Comment कर बता सकते है या फिर Swarn1508@gmail.com पर eMail के जरिए भी बता सकते है। 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here