suparshvnath bhagwan

सुख आते है दुःख आते है, इन आते जाते सुख दुख में हम मस्त रहते है

हम मस्त रहते है, अज्ञानी रोते रहते है ज्ञानी समता रखते है || टेक ||

कभी मान मिला जी भर भर के, अपमान हुआ जी भर भर के

इस मान अपमान के खेल में हम मस्त रहते है, हम मस्त रहते है

अज्ञानी रोते रहते है ज्ञानी समता रखते है || १ ||

सुख आते है दुःख आते है… 

माँ जिनवाणी यह समझाती, निज आतम वैभव दिखलाती

सब द्रव्य अपने में रहते है और मस्त रहते है, हम मस्त रहते है

अज्ञानी रोते रहते है ज्ञानी समता रखते है || २ ||

सुख आते है दुःख आते है…

गाते गाते फकीरा कह जाता, कोई पैदा हुआ कोई मर जाता

इस जनम मरण के खेल में हम मस्त रहते है, हम मस्त रहते है

अज्ञानी रोते रहते है ज्ञानी समता रखते है || ३ ||

सुख आते है दुःख आते है…

गुरु ज्ञान पिटारा खोला है, ये जग सारा एक मेला है

क्षण क्षण बदलते सुख दुःख में हम मस्त रहते है,

हम मस्त रहते है, अज्ञानी रोते रहते है ज्ञानी समता रखते है || ४ ||

सुख आते है दुःख आते है…

यही तो जीना भाई जीना है, विष छोड़ दिया अमृत पीना है

हम अमृत पीते रहते है और मस्त रहते है, हम मस्त रहते है

अज्ञानी रोते रहते है ज्ञानी समता रखते है || ५ ||

सुख आते है दुःख आते है…

Note

Jinvani.in मे दिए गए सभी Jain Bhajan – सुख आते है दुःख आते है स्तोत्र, पुजाये और आरती जिनवाणी संग्रह के द्वारा लिखी गई है, यदि आप किसी प्रकार की त्रुटि या सुझाव देना चाहते है तो हमे Comment कर बता सकते है या फिर Swarn1508@gmail.com पर eMail के जरिए भी बता सकते है। 

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