भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना – Jain Bhajan

bhagwan sumatinath

Jain Bhajan भगवान मेरी नैया, उस पार लगा देना अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना हम दिन दुखी निर्धन, नित नाम जपे प्रतिपल यह सोच दरस दोगे, प्रभु आज नहीं तो कल जो बाग़ लगाया है फूलो से सजा देना अब तक तो निभाया… तुम शांति सुधाकर हो, तुम ज्ञान दिवाकर हो … Read more

है सीमंधर भगवान शरण ली तेरी…Jain Bhajan

श्री वासुपूज्य चालीसा

हे ! सीमंधर भगवान शरण ली तेरी, बस ज्ञाता दृष्टा रहे परिणति मेरी ||टेक|| निज को बिन जाने नाथ फिरा भव वन में | सुख की आशा से झपटा उन विषयन में || ज्यों कफ में मक्खी बैठ पंख लिपटावे, तब तड़फ-तड़फ दुःख में ही प्राण गमावे || त्यों इन विषयन में मिली, दुखद भवफेरी … Read more

ज्ञान सम्यक मेरा हो गया – Jain Bhajan

sudhasagar ji maharaj

ज्ञान सम्यक मेरा हो गया, मिथ्याभ्रम का अन्धेरा विलय हो गया । दृष्टि एकान्त की ही बनी थी मेरी, और अनेकान्त से बेखबर मैं रहा स्याद्वादी सहज हो गया, ज्ञान में ज्ञान का ज्ञान अब हो गया ॥१॥ माना अपना उसे जो ना अपना हुआ, जो था अपना उसी से पराया रहा भेदविज्ञान अब हो … Read more

धन्य धन्य वीतराग वाणी…Jain Bhajan

bhagwan sumatinath

धन्य धन्य वीतराग वाणी, अमर तेरी जग में कहानी चिदानन्द की राजधानी, अमर तेरी जग में कहानी ।।टेक।। उत्पाद व्यय अरु ध्रोव्य स्वरूप, वस्तु बखानी सर्वज्ञ भूप । स्याद्वाद तेरी निशानी, अमर तेरी जग में कहानी ।१। नित्य अनित्य अरू एक अनेक, वस्तुकथंचित भेद अभेद । अनेकान्त रूपा बखानी, अमर तेरी जग में कहानी ।२। … Read more

मोह जाल में फंसे हुए हैं, कर्मो ने आ घेरा…Jain Bhajan

Abhinandannath

मोह जाल में फँसे हुये हैं कर्मों ने आ घेरा, कैसे तिरेंगे भव-सागर से, तुम बिन कौन है मेरा। भूल हुई क्या हमसे भगवन क्या है दोष हमारा, लिखा विधाता ने किन घड़ियों ऐसा लेख हमारा।। लेख लिखा था शुभ घड़ियों में, शुभ घड़ियां हैं आई। आत्मज्ञान की ज्योति जगा दो भव से पार उतरता … Read more

निर्ग्रंथों का मार्ग हमको प्राणों से भी प्यारा है – Jain Bhajan

Acharya shri Vidhyasagar ji maharaj

Jain Bhajan निर्ग्रंथों का मार्ग हमको प्राणों से भी प्यारा है… दिगम्बर वेश न्यारा है… निर्ग्रंथों का मार्ग….॥ शुद्धात्मा में ही, जब लीन होने को, किसी का मन मचलता है, तीन कषायों का, तब राग परिणति से, सहज ही टलता है, वस्त्र का धागा….वस्त्र का धागा नहीं फ़िर उसने तन पर धारा है, दिगम्बर वेश न्यारा … Read more

स्वर्ग से सुंदर अनुपम है ये जिनवर का दरबार…Jain Bhajan

bhagwan neminath

(तर्ज – स्वर्ग से सुन्दर सपनो से प्यारा, है अपना घर द्वार…) स्वर्ग से सुंदर अनुपम है ये जिनवर का दरबार। श्रद्धा से जो ध्याता निश्चित हो जाता भव पार, यही श्रद्धान हमारा, नमन हो तुम्हें हमारा ।।टेक।। कभी न टूटे श्रद्धा, तुम पर भगवान हमारी। झुक जाएंगी जीवन, में प्रतिकूलता सारी।। है विश्वास हमारा, … Read more

साधना के रास्ते, आत्मा के वास्ते चल रे राही चल – Jain Bhajan

siddha puja bhasha

Jain Bhajan साधना के रास्ते, आत्मा के वास्ते चल रे राही चल। मुक्ति की मंजिल मिले, शान्ति की सरसिज खिले।। चल रे राही चल।।टेक।। ज्ञान ही अज्ञान था, तो भटकते थे हर जनम। छल कपट माया में पड़कर, करते रहे हम हर कदम।। राह हो कल्याण की, हो शरण भगवान की चल रे राही चल ।।१।। कौन है … Read more

मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूं – Jain Bhajan

श्री वासुपूज्य चालीसा

मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूं, मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूं ॥ मैं हूं अपने में स्वयं पूर्ण, पर की मुझमें कुछ गंध नहीं । मैं अरस, अरूपी, अस्पर्शी, पर से कुछ भी सम्बन्ध नहीं ॥ मैं रंग-राग से भिन्न भेद से, भी मैं भिन्न निराला हूं । मैं हूं अखंड चैतन्य-पिण्ड, निज-रस में रमने वाला हूं ॥ … Read more

Yeh Sach hai ki Navkar mai – Jain Bhajan

jain bhajan

(लय – ये तो सच है की भगवान है…) ये तो सच है कि नवकार में, सब मंत्रो का ही सार है -२ इसे जो भी जपे रात दिन, होता उसका ही भव पार है। ये तो सच है कि नवकार में… अरिहंतो को भी इसमें सुमिरन किया, और सिद्धो का भी इसमें ध्यान धरा … Read more