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मोक्ष के प्रेमी हमने, कर्मों से लड़ते देखें… Jain Bhajan

“मोक्ष के प्रेमी हमने, कर्मों से लड़ते देखें…” एक प्रेरणादायक Jain Bhajan है, जो उन महापुरुषों की महान साधना और तपस्या का स्मरण कराता है जिन्होंने आत्मा की मुक्ति के लिए कठिन से कठिन कर्मों से टक्कर ली। यह भजन बताता है कि मोक्ष की राह आसान नहीं होती, लेकिन जिन्होंने उसे पाने की सच्ची लगन जगाई, उन्होंने अपने जीवन को तप, संयम और वैराग्य से सँवारा।

यह भजन साधक को आत्म-प्रेरणा देता है कि यदि वे भी जीवन में संयम, विवेक और श्रद्धा को अपनाएँ, तो मोक्ष की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। भजन विशेष रूप से वैराग्य दिवस, ध्यान सत्र, और साधु-संतों की आराधना के समय गाया जाता है।

Jain Bhajan

मोक्ष के प्रेमी हमने, कर्मों से लड़ते देखें ।
मखमल पर सोनेवाले, भूमि पर चलते देखें ॥

सरसोंका भी एक दाना, जिनके तन पर चुबता था ।
काया की सुध छोड़ी, गीदड़ तन खाते देखें ॥(1)मोक्ष…

ऐसे श्री पारस स्वामी, तदभव थे मोक्षगामी ।
कर्मों ने नाहीं बख्शा, पत्थर तक गिरते देखें ॥(2)मोक्ष…

सेठो में सेठ सुदर्शन, कामी रानी का बंधन।
शील को नाहीं छोड़ा, सूली पर चढ़ते देखें ॥(3)मोक्ष…

ऐसे निकलंक स्वामी, अध्ययन करने की ठानी।
जिनशासन नाहीं छोडा, मस्तक तक कटते देखें ॥(4)मोक्ष…

भोगों को अब तो त्यागो, जागो चेतन अब जागो।
आशा ना पूरी होती, मरघट तक जाते देखें ॥(5)मोक्ष..

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Note

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