Jainism flag jain dharm

तर्ज – भर दो झोली मेंरी… 

प्रथमं मंगलम मंत्र नवकार, इसके जपने से होता है भव पार।
पांच पदों के पैतीस अक्षर, भव-भव के काँटे चक्कर …  
इसमें गर्भित है सारा आगमसर, इसके जपने से होता है भव पार।

Telegram BitsBlaze Deals

प्रथमं मंगलम मंत्र नवकार, इसके जपने से होता है भव पार।
अरिहंत सिद्ध आचार्य उपाध्याय, सर्व साधु को मेरा नमन।
गुण समूह है ये एक सो आठ, अष्ट कर्मो को देते ये काट।
गुण सुमिरन करें हम भी जरा सा, जिनागम का है सार भरा सा…

पीले ये प्याला हम भी तो जरा सा, जपते जपते ही निकले मेरे प्राण।
वीर प्रभु से हम मांगे ये वरदान।

प्रथमं मंगलम मंत्र नवकार, इसके जपने से होता है भव पार।
चंदना को भी तारा है सीता को भी, कुष्टी श्रीपाल की काया थी खिली।
तिरे सेठ सुदर्शन सोमासती, अर्जुनमाली और अंजनासती …

हां कभी न कभी तिरे नैय्या मेरी, ध्याते ध्याते ही निकले मेरे प्राण।
वीर प्रभु से हम मांगे ये वरदान।

Telegram BitsBlaze Deals

प्रथमं मंगलम मंत्र नवकार, इसके जपने से होता है भव पार।
पांच पदों के पैतीस अक्षर, भव-भव के काँटे चक्कर …  
इसमें गर्भित है सारा आगमसर, इसके जपने से होता है भव पार।

Note

Jinvani.in मे दिए गए सभी Jain Bhajan – प्रथमं मंगलम मंत्र नवकार स्तोत्र, पुजाये और आरती जिनवाणी संग्रह के द्वारा लिखी गई है, यदि आप किसी प्रकार की त्रुटि या सुझाव देना चाहते है तो हमे Comment कर बता सकते है या फिर Swarn1508@gmail.com पर eMail के जरिए भी बता सकते है। 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here