Jain Bhajan
मोक्ष के प्रेमी हमने, कर्मों से लड़ते देखें ।
मखमल पर सोनेवाले, भूमि पर चलते देखें ॥
सरसोंका भी एक दाना, जिनके तन पर चुबता था ।
काया की सुध छोड़ी, गीदड़ तन खाते देखें ॥(1)मोक्ष…
ऐसे श्री पारस स्वामी, तदभव थे मोक्षगामी ।
कर्मों ने नाहीं बख्शा, पत्थर तक गिरते देखें ॥(2)मोक्ष…
सेठो में सेठ सुदर्शन, कामी रानी का बंधन।
शील को नाहीं छोड़ा, सूली पर चढ़ते देखें ॥(3)मोक्ष…
ऐसे निकलंक स्वामी, अध्ययन करने की ठानी।
जिनशासन नाहीं छोडा, मस्तक तक कटते देखें ॥(4)मोक्ष…
भोगों को अब तो त्यागो, जागो चेतन अब जागो।
आशा ना पूरी होती, मरघट तक जाते देखें ॥(5)मोक्ष…
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Note
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