Jainism flag jain dharm

भगवान आत्मा आनंद भंडार चेतन उस पर दृष्टि कर…Jain Bhajan

इस भजन भगवान आत्मा आनंद भंडार चेतन उस पर दृष्टि कर. में साधक अपनी आत्मा में स्थित अनंत आनंद के सागर की ओर अपनी दृष्टि केंद्रित करने का आग्रह करता है। संसार के बाहरी आकर्षण से हटकर भीतर उतरना और आत्मा के वास्तविक स्वरूप को पहचानना ही इस भजन का मुख्य संदेश है।

यह Jain Bhajan हमें हमारे आत्मस्वरूप से परिचित कराता है, ताकि हम अंतरात्मा में स्थित परम चेतना का अनुभव कर सकें। इस सुंदर रचना में साधना, विवेक, श्रद्धा तथा परमात्म प्रेम का अद्भुत संगम है, जो प्रत्येक साधक के हृदय को आत्मिक आनंद से भर देता है।

तर्ज – चाँद सी महबूबा हो मेरी… 

भगवान आत्मा आनंद भंडार चेतन उस पर दृष्टि कर,

शांत स्वरूप को लक्ष में ले, हो जायेंगे संकट दूर।।टेक।।

कर्म तुझमें नहीं राग तुझमें नहीं, ऐसा जिनवर ने बतलाया,

तेरे दोषों से ही बंधन हैं, यह पूज्य गुरु ने फरमाया-२॥

अपने दोषों को दूर करें तो, जायें शाश्वत सुख के घर ।।१।।

शांत स्वरूप को लक्ष में ले, हो जायेंगे संकट दूर।।टेक।।

तू वस्तु स्वरूप को भूला था, पर भावों में भरमाया था,

चेतन तो पर का ज्ञाता है, यह ज्ञान स्वभाव न जाना था-२॥

पर का अकर्ता यद्यपि ज्ञाता, ऐसी सम्यक् श्रद्धा कर।।२।।

शांत स्वरूप को लक्ष में ले, हो जायेंगे संकट दूर।।टेक।।

यदि कर्म विकार कराये तुझे, तो कर्माधीन तु हो जावे,

ऐसी स्थिति में सुन चेतन, तुझे शाश्वत सुख न मिल पाये-२॥

तू चेतन कर्माधीन नहीं यह, पूज्य गुरु की कड़ी मोहर।।३।।

शांत स्वरूप को लक्ष में ले, हो जायेंगे संकट दूर।।टेक।।

golden divider 2

Note

Jinvani.in मे दिए गए सभी Jain Bhajan – भगवान आत्मा आनंद भंडार चेतन उस पर दृष्टि कर स्तोत्र, पुजाये और आरती जिनवाणी संग्रह के द्वारा लिखी गई है, यदि आप किसी प्रकार की त्रुटि या सुझाव देना चाहते है तो हमे Comment कर बता सकते है या फिर Swarn1508@gmail.com पर eMail के जरिए भी बता सकते है। 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Scroll to Top