पद्मावती माता की आरती
पद्मावती माता, दर्शन की बलिहारियां।। टेक०।।
पार्श्वनाथ महाराज विराजे मस्तक ऊपर थारे,
माता मस्तक ऊपर थारे।
इन्द्र, फणेन्द्र, नरेन्द्र सभी मिल, खड़े रहें नित द्वारे।
हे पद्मावती माता, दर्शन की बलिहारियां।। दो बार।।
जो जीव थारो शरणो लीनो, सब संकट हर लीनो,
माता सब संकट हर लीनो।
पुत्र, पौत्र, धन, धान्य, सम्पदा, मंगलमय कर दीनो।
हे पद्मावती माता, दर्शन की बलिहारियां।। दो बार।।
डाकिनि, शाकिनि, भूत, भवानी, नाम लेत भग जायें,
माता नाम लेत भग जायें।
वात, पित्त, कफ, कुष्ट मिटे अरू तन सुखमय हो जावे।
हे पद्मावती माता, दर्शन की बलिहारियां।। दो बार।।
दीप, धूप, अरु पुष्प आरती, ले आरति को आयो,
माता ले दर्शन को आयो।
दर्शन करके मात तिहारो, मनवांछित फल पायो।
हे पद्मावती माता, दर्शन की बलिहारियां ।। दो बार।।
जब भक्तों पर पीर पड़ी है रक्षा तुमने कीनी,
माता रक्षा तुमने कीनी।
वैरियों का अभिमान चूरकर इज्जत दूनी दीनी।
हे पद्मावती माता, दर्शन की बलिहारियां।।
हे पद्मावती माता, आरति की बलिहारियां।।
Padmavati Mata Ki Aarti को हमने ध्यान पूर्वक लिखा है, फिर भी इसमे किसी प्रकार की त्रुटि दिखे तो आप हमे Comment करके या फिर Swarn1508@gmail.com पर Email कर सकते है।




