भक्ति बेकरार है आनंद अपार है – Jain Aarti
भक्ति बेकरार है आनंद अपार है, आजा प्रभु पारस तेरा, जय जय जय जय कार है !मंगल आरती लेकर स्वामी, […]
भक्ति बेकरार है आनंद अपार है, आजा प्रभु पारस तेरा, जय जय जय जय कार है !मंगल आरती लेकर स्वामी, […]
Aarti Shree Vidyasagar Maharaj Ji Ki विद्यासागर की, गुणआगर की, शुभ मंगल दीप सजाय के। आज उतारूँ आरतिया…..॥1॥ मल्लप्पा श्री,
Bhagwan Adinath Jain Bhajan व्हाला आदिनाथ में तो पकड्यो तारो हाथ, मने देजो सदा साथ.. हो.. व्हाला आदिनाथ हो आव्यो
चिंतामणि पारसनाथ भगवान की आरती ओं जय पारस देवा स्वामी जय पारस देवा ! सुर नर मुनिजन तुम चरणन की
शान्ति अपरम्पार है- आनन्द अपार है। शान्तिनाथ भगवान की आरती बारम्बार है।। शान्ति अप० पहली आरती पहले पद की, तीर्थंकर
|| शांतिनाथ भगवान की आरती || शांतिनाथ भगवान की हम आरती उतारेंगे| आरती उतारेंगे हम आरती उतारेंगे| आरती उतारेंगे हम
जय जिनवर देवा प्रभु जय जिनवर देवा| शांति विधाता शिवसुख दाता शांतिनाथ देवा ||टेक|| ऐरा देवी धन्य जगत में जिस
जिसने राग-द्वेष कामादिक, जीते सब जग जान लिया सब जीवों को मोक्ष मार्ग का निस्पृह हो उपदेश दिया, बुद्ध, वीर
इहविधि मंगल आरती कीजै, पंच परमपद भज सुख लीजै।। टेक। पहली आरती श्री जिनराजा, भवदधि पार उतार जिहाजा।। इहविधि मंगल
करहूं आरती आज जिनेश्वर तुम्हरे द्वारे; कर दो भव से पार लगा दो नैया किनारे, ऋषभ अजित सम्भव जिन स्वामी;