तर्ज – चाँद सी महबूबा हो मेरी…
भगवान आत्मा आनंद भंडार चेतन उस पर दृष्टि कर,
शांत स्वरूप को लक्ष में ले, हो जायेंगे संकट दूर।।टेक।।
कर्म तुझमें नहीं राग तुझमें नहीं, ऐसा जिनवर ने बतलाया,
तेरे दोषों से ही बंधन हैं, यह पूज्य गुरु ने फरमाया-२॥
अपने दोषों को दूर करें तो, जायें शाश्वत सुख के घर ।।१।।
शांत स्वरूप को लक्ष में ले, हो जायेंगे संकट दूर।।टेक।।
तू वस्तु स्वरूप को भूला था, पर भावों में भरमाया था,
चेतन तो पर का ज्ञाता है, यह ज्ञान स्वभाव न जाना था-२॥
पर का अकर्ता यद्यपि ज्ञाता, ऐसी सम्यक् श्रद्धा कर।।२।।
शांत स्वरूप को लक्ष में ले, हो जायेंगे संकट दूर।।टेक।।
यदि कर्म विकार कराये तुझे, तो कर्माधीन तु हो जावे,
ऐसी स्थिति में सुन चेतन, तुझे शाश्वत सुख न मिल पाये-२॥
तू चेतन कर्माधीन नहीं यह, पूज्य गुरु की कड़ी मोहर।।३।।
शांत स्वरूप को लक्ष में ले, हो जायेंगे संकट दूर।।टेक।।
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