तीर्थंकर भगवान मुनिसुव्रतनाथ का जीवन परिचय
मुनिसुव्रतनाथ(Bhagwan Munisubratnath) या मुनिसुव्रत जैन धर्म के २० वें तीर्थंकर माने गए हैं। उनके पिता का नाम सुमित्र और माता का नाम पद्यावती था। ये भगवान राम के समकालीन माने गये हैं। उनका जन्म राजगृह (राजगिर) मे हुआ था।
केवल ज्ञान की प्राप्ति
एक वर्ष बीत जाने पर नील वन में चंपक वृक्ष के नीचे पौष शु. १५ के दिन केवलज्ञान को प्राप्त हो गये।
भगवान मुनिसुव्रतनाथ का इतिहास
- भगवान का चिन्ह – उनका चिन्ह कछुआ है।
- जन्म स्थान –राजगृही (जिला नालंदा)
- जन्म कल्याणक – कार्तिक शु० पू०
- केवल ज्ञान स्थान – पौष शु. १५, नील वन
- दीक्षा स्थान – नील वन
- पिता – महाराजा सुमित्र
- माता – महारानी सोमा
- देहवर्ण – तप्त स्वर्ण सदृश
- मोक्ष – फाल्गुन कृ. १२, सम्मेद शिखर पर्वत
- भगवान का वर्ण – क्षत्रिय (इश्वाकू वंश)
- लंबाई/ ऊंचाई- २० धनुष (६० मीटर)
- आयु – ३०,००० वर्ष
- वृक्ष – चंपक वृक्ष
- यक्ष – वरूण देव
- यक्षिणी – बहुरूपिणी देवी
- प्रथम गणधर – श्री मल्लि
- गणधरों की संख्या – 18
🙏 मुनिसुव्रतनाथ का निर्वाण
अन्त में सम्मेदशिखर पर जाकर एक माह का योग निरोधकर तीस हजार (३००००) मुनियों के साथ फाल्गुन कृ. १२ के दिन परमपद को प्राप्त कर लिया।
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